मंत्री के इस्तीफे के बाद सियासी घमासान और तेज

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  • सीएम, स्पीकर से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक निशाने पर
  • देसी और पहाड़ी के मुद्दे पर सड़कों तक संग्राम की नौबत

देहरादून। संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद अब उत्तराखंड का सियासी घमासान और अधिक तेज हो गया है। उनके इस्तीफे के बाद सीएम धामी दिल्ली रवाना हो चुके हैं। वही प्रेमचंद अग्रवाल के समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं तथा बाजार बंद और चक्का जाम करने पर उतारू है। दूसरी तरफ उत्तराखंडियत की लड़ाई लड़ने वालों ने भी खुला ऐलान कर दिया है कि प्रेमचंद के इस्तीफे के बाद भी उनकी लड़ाई रुकने वाली नहीं है अब उनके निशाने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भटृ और स्पीकर ऋतु खंडूरी के अलावा भी अन्य कई नाम है जिसमें सूबे के मुखिया पुष्कर सिंह धामी का भी नाम शामिल है।
उत्तराखंड के संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद लंबे समय से जारी देसी और पहाड़ी (पहाड़ी बनाम मैदानी) की लड़ाई और अधिक तेज होती दिख रही है उनका इस्तीफा लिए जाने से नाराज उनके समर्थक और मैदानी मंच के कार्यकर्ताओं तथा पदाधिकारियों ने इस बात का ऐलान कर दिया है कि वह अब और अधिक बर्दाश्त नहीं करेंगे। पहाड़ के लोगों द्वारा मैदान के नेताओं की लगातार उपेक्षा की जा रही है और सोची समझी रणनीति के तहत मैदान के नेताओं को राजनीति से बाहर धकेला जा रहा है। प्रेमचंद अग्रवाल के साथ इन लोगों द्वारा पूर्व विधायक व मंत्री मदन कौशिक, उमेश अग्रवाल का नाम गिनाकर यह कहते हैं और न जाने कितने नेता है जिन्हें अब तक किनारे किया जा चुका है। व्यापारी नेता विवेक अग्रवाल ने तो चुनौती देते हुए कहा है कि अगर प्रेमचंद का इस्तीफा वापस नहीं लिया गया तो अब मैदान के लोगों को अपनी लड़ाई लड़ने के लिए सड़कों पर उतरना ही पड़ेगा। वह चक्का जाम भी करेंगे और बाजार बंद भी करेंगे।
प्रेमचंद के इस्तीफे के बाद उनके इस्तीफे की मांग करने वालों का कहना है कि उनकी यह लड़ाई इसके बाद भी जारी रहेगी। प्रेमचंद अग्रवाल का बचाव करने वाले सीएम धामी को राज्य के लोगों से माफी मांगने तथा स्पीकर ऋतु खंडूरी को भी पद से हटाने और महेंद्र भटृ को भी पद से हटाने और माफी मांगने तक उनका यह आंदोलन जारी रहेगा। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल से लेकर नवोदित उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पवार तथा राज्य आंदोलनकारी मंच से जुड़े तमाम नेताओं द्वारा इस तरह की घोषणाएं की जा रही है। इन तमाम प्रतिक्रियाओं से यह साफ संकेत मिल रहा है कि अभी यह तूफान शांत नहीं होने वाला है तथा आने वाले दिनों में मैदान और पहाड़ की यह जंग और अधिक तेज होने वाली है।

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