अनफिट बस को यात्रा से क्यों नहीं रोका गया
किसी आरटीओ, एआरटीओ के खिलाफ कार्यवाही नहीं
देहरादून। बीते 4 अक्टूबर की रात को पौड़ी में हुई बस दुर्घटना में 35 लोगों की जान चली गई। शासन—प्रशासन द्वारा दुर्घटना की जांच के आदेश देकर और मृतकों के परिजनों को मुआवजे की घोषणा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली गई है लेकिन इन 35 लोगों की मौत के जिम्मेवार किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। सवाल यह है कि आखिर इन 35 लोगों की मौत के लिए कौन जिम्मेवार है? ऐसा लगता है कि इस बड़े हादसे जिसमें 35 लोगों की जान चली गयी भर्ती घोटालों और अंकिता हत्याकांड की गूंज में कहीं यह सवाल दबकर रह गया है कि इन मौतों के लिए जिम्मेदार कौन है।
जिस बस से यह बारात लालढांग हरिद्वार से पौड़ी जा रही थी वह बस जीएमओयू की बताई जा रही है। यह बात भी सामने आई है कि यह हादसा ओवरलोडिंग के कारण हुआ। 32 सीटर इस वर्ष में 50 से भी अधिक लोग सवार थे। सवाल यह है कि क्या पहाड़ों पर ओवरलोडिंग को रोकने के लिए चैकिंग की कोई व्यवस्था नहीं है, अगर है तो फिर यह बस हरिद्वार से पौड़ी सिमड़ी गांव तक कैसे पहुंच गई। इतने लंबे रास्ते में इसे कहीं भी रोका क्यों नहीं गया। जबकि यह बस दुगड्डा चौकी और रिखणीखाल चौकी से होकर भी गुजरी। हादसे के बाद यह भी पता चला है कि जिस बस से यह बारात पौड़ी जा रही थी उसकी फिटनेस भी नहीं थी। तथा रास्ते में बस के ड्राइवर ने कहा कि बस अब आगे नहीं चल पाएगी वह किसी दूसरी बस का इंतजाम कर ले। मगर बारातियों ने उस पर जोर डालकर कहा कि अब थोड़ी दूर की बात और है।
सवाल यह है कि जिन लोगों पर वाहनों की जांच का दायित्व है उन्होंने इस बस को कैसे पहाड़ के सफर पर जाने दिया। क्या परिवहन विभाग के अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं। अगर है तो अभी तक किसी भी आरटीओ और एआरटीओ के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई है?
सरकार ने इन 35 लोगों की जान चले जाने जैसी बड़ी घटना पर मृतकों के परिजनों को दो—दो लाख का मुआवजा देकर तथा घटना की जांच कराने के आदेश देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली है। जबकि इस भीषण हादसे में कई घरों के चिराग बुझ गए तथा कई महिलाओं के सुहाग छिन गए और कई बच्चों के सर से मां बाप का साया उठ गया। इस दुर्घटना का कारण जो भी रहा हो वह ओवरलोडिंग हो या सड़कों की खराब स्थिति अथवा परिवहन विभाग की लापरवाही, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।