कोरोना की जिस नए वेरियेंट डेल्टा प्लस को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं वह बेवजह नहीं है भारत सहित विश्व के 10 देशों में तेजी से पैर पसारते इस डेल्टा प्लस के बारे में अब तक जो जानकारियां प्रकाश में आई हैं वह यह बताने बताने के लिए काफी है कि यह नया वेरियेंट अब तक के सभी वेरियेंट स ेन सिर्फ कई गुना अधिक घातक है बल्कि मानव समाज के अस्तित्व पर भी एक बड़ा खतरा है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जिस डेल्टा अल्फा वैरीयेंट ने देश में भारी तबाही मचाई थी डेल्टा प्लस को उससे 60 गुना ज्यादा घातक बताया जा रहा है वहीं यह पहली लहर के कोरोना वैरीयंट से 172 फीसदी अधिक संक्रामक है। यह बात नेचर में छपी रिपोर्ट में कही गई है। इसकी संक्रमण क्षमता तो अधिक है ही इसके साथ ही यह फेफड़ों को तेजी से निष्क्रिय करता है। शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी को भी जरूरत के अनुरूप विकसित नहीं होने देता। अभी तक देश के 10 राज्यों में 50 से अधिक लोगों में डेल्टा प्लस होने की पुष्टि हो चुकी है वहीं दो लोगों की मौत हो चुकी है। इस बड़े संभावित खतरे के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा उन राज्यों को चेतावनी जारी की गई है जहां डेल्टा प्लस के केस सामने आए हैं कि ऐसे मरीजों के संपर्क में आने वालों की ट्रेसिंग का काम पूरी सतर्कता से करें तथा छोटे—छोटे कंटेनमेंट जोन बनाकर इसे पूरी मुस्तैदी से रोकने का प्रयास करें जिससे इसका प्रसार होने से रोका जा सके। देश में अब तक 45000 नमूनों में 50 डेल्टा प्लस के मामले मिले हैं लेकिन यह देश के अलग—अलग हिस्सोंं में मिले हैं। महाराष्ट्र, केरल में भले ही इसके मामले ज्यादा हों लेकिन गुजरात, राजस्थान हरियाणा, एनसीआर व पंजाब से लेकर जम्मू कश्मीर तक डेल्टा प्लस के मरीज मिलना इस बात को बताता है कि अगर संक्रमण फैला तो पूरे देश को अपनी चपेट में ले लेगा। एक अन्य चिंताजनक बात यह है कि देश में इसकी जांच के लिए अभी सिर्फ 14 लैब ही हैं जहंा इसकी जांच हो सकती है। जिन्हें बढ़ाया जाना जरूरी है। वरना आने वाले समय में इसकी टेस्टिंग भी संभव नहीं हो सकेगी। भले ही यह कहा जा रहा हो कि वैक्सीनेशन कोरोना से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है लेकिन राजस्थान में जिस व्यत्तिQ में डेल्टा प्लस की पुष्टि हुई है वह व्यत्तिQ की दोनों डोज ले चुका है। लेकिन इससे हताश नहीं होना चाहिए। वैक्सीन लेने के बाद सुरक्षा अधिक बढ़ जाती है और जान जाने का खतरा कम होता है इसमें भी संदेह नहीं है। केंद्र सरकार डेल्टा प्लस के खतरे को लेकर राज्यों को आगाह कर रही है वहीं कुछ राज्यों द्वारा इस पर स्वत संज्ञान लेते हुए अपने यहां अलर्ट जारी किए गए हैं लेकिन यह खतरा बड़ा है और इससे निपटने के लिए पूरी तैयारी की भी जरूरत है। स्वास्थ्य सेवाओं को चुस्त—दुरुस्त करने के साथ सभी राज्यों को स्वंय सेवी संस्थाओं के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। पिछले समय में आई दो लहरों से सबक लेने की जरूरत है वैसे भी तीसरी लहर के जल्द आने की संभावनाओं के बीच सतर्कता और तैयारियों में ढील नहीं दी जानी चाहिए तभी इस बड़े खतरे से निपटा जा सकता है।