नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने योगगुरु स्वामी रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए मंगलवार को कहा कि आप कैसे कह सकते हैं कि आप बीमारी को ठीक कर देंगे। कोर्ट की चेतावनी के बाद भी आप कह रहे हैं आपके उत्पाद रसायन आधारित दवाइयों से अच्छे हैं। शीर्ष अदालत पहले भी पतंजलि को फटकार लगा चुकी है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के उत्पादों के विज्ञापनों को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि आदेश के बावजूद आप विज्ञापन प्रकाशित कर रहे हैं, जो कि उचित नहीं है। कोर्ट के आदेश के बावजूद आप विज्ञापन का साहस दिखा रहे हैं। न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह खुद विज्ञापन वाला अखबार लेकर अदालत आए।
जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि आप कोर्ट को उकसा रहे हैं। कोर्ट के आदेश के बावजूद आप विज्ञापन प्रकाशित कर रहे हैं। हम सख्त आदेश पारित करने जा रहे हैं। आप ऐसा कैसे कह रहे हैं कि आप बीमारी को ठीक कर देंगे? कोर्ट ने सरकार से भी कहा कि केन्द्र सरकार को भी इस पर एक्शन लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पतंजलि पर भविष्य में यदि ऐसे विज्ञापन और बयान जारी किए जाते हैं तो भारी जुर्माना लगाने की चेतावनी दी है। न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा है कि यदि भविष्य इस तरह के विज्ञापनों पर प्रति उत्पाद एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। कोर्ट ने पतंजलि से एलोपैथ की दवाओं और टीकाकरण के खिलाफ कोई भी भ्रामक विज्ञापन या गलत दावा नहीं करने के लिए कहा है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि हम इस मामले को एलोपैथ बनाम आयुर्वेद की बहस नहीं बनाना चाहते। हम याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दे का समाधान ढूंढना चाहते हैं। कोर्ट ने केन्द्र सरकार से कहा है कि वह भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों से निपटने के लिए एक योजना कोर्ट के सामने रखे। कोर्ट ने आईएमए की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणियां की हैं।
उल्लेखनीय है कि नवंबर 2023 में भी आईएमए की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव की पतंजलि को नसीहत दी थी। कोर्ट ने तब कहा था कि यदि पतंजलि का दावा गलत पाया गया तो 100 करोड़ का जुर्माना लगाया जाएगा। तब बाबा रामदेव ने हरिद्वार में कहा था कि यदि हम गलत पाए जाते हैं तो हमारे ऊपर 100 करोड़ नहीं 1000 करोड़ का जुर्माना लगाया जाए। यहां तक कि हमें फांसी की सजा भी दी जाए।