6 नामजद सहित दो सौ पर मुकदमा दर्ज
अधिकारियों ने दिये कड़ी कार्यवाही के निर्देश
नैनीताल। वनभूलपुरा क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माण को हटाने मौके पर पहुंची पुलिस व प्रशासन की टीम पर भीड़ ने पथराव कर दिया। हालांकि पुलिस ने पथराव करने वालों पर लाठियंा भांज कर भीड़ को तितर बितर कर अवैध निर्माण को ढहा दिया गया है। पुलिस ने इस मामले में बवाल करने वालोें को चिन्हित कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
जानकारी के अनुसार बनभूलपुरा क्षेत्र में अवैध रूप से बिल्डिंग बनाने की शिकायत पर दल बल के साथ मौके पर पहुंचे कुमायूं आयुक्त और आईजी पुलिस के सामने ही अवैध निर्माण करने वालों के साथ भारी भीड़ जमा हो गई और पथराव करने लगी। जिसके बाद पुलिस ने लाठियां भांजी और भीड़ को तितर बितर किया। वहीं, निर्माणधीन इमारत को जेसीबी से गिरवा दिया गया है। पुलिस प्रशासन द्वारा पूरे घटना क्रम की सीसीटीवी फुटेज के आधार पर बवाल कर रहे लोगों को चिन्हित करके उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। कुमायूं आयुक्त दीपक रावत ने कहा है कि पथराव बवाल करने वालों के साथ कोई रियायत नहीं बरती जाएगी, उन्हें चिन्हित करके जेल भेजा जाएगा।
बताया जा रहा है कि नजूल भूमि पर अवैध निर्माण करने वाले हाजी मोहम्मद इरशाद, सरफराज अहमद और मोहम्मद सलीम पर नगर निगम के आयुक्त द्वारा बनभूलपुरा थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है, जिसमें नगर निगम कर्मियों पर हमला करने, जेसीबी पर पथराव करने, अवैध निर्माण स्थल में खनिज की चोरी कर उसे छुपाने जैसे आरोप लगाए गए हैं। नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय ने तीनों आरोपियों के साथ—साथ उनके रिश्तेदार मोहम्मद गुरफान, अब्दुल वफा और उनके दो सौ समर्थको को भी नामजद किया है, जिन्होंने भीड़ को बलवा करने के लिए उकसाया था। निगम प्रशासन ने सफाई कर्मियों पर भी हमला करने के आरोप लगाए हैं, जिसके आधार पर एससी एक्ट के तहत कानूनी कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है। जिला विकास प्राधिकरण के सचिव की तरफ से भी अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
बता दें कि रेलवे की जमीन अतिक्रमण मामले के विरोध के बाद यहां क्षेत्र में अवैध निर्माण की बाढ़ सी आ गई है। इसी को रोकने के लिए कुमायूं आयुक्त दीपक रावत और आईजी डॉ नीलेश भरणे खुद मौके पर पहुंचे, जहां सात स्थानों पर अवैध निर्माण हो रहे थे।
प्रशासन ने शुरू किया जमीन का सर्वे
हल्द्वानी। हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशानुसार जिला प्रशासन द्वारा जमीन का सर्वे शुरू कर दिया गया है। न्यायालय में दायर एसएलपी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट के अतिक्रमण तोड़ने के निर्णय पर रोक लगा दी गई थी तथा जिला प्रशासन व सरकार को जमीन का सर्वे कराने तथा सीमांकन करने के निर्देश दिए गए थे जिसमें यह स्पष्ट करने के आदेश दिए थे कि कितनी जमीन वन विभाग की तथा कितनी रेलवे की व राजस्व विभाग की है, स्पष्ट किया जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी को होनी है। जिला प्रशासन के सर्वे से क्षेत्र वासियों में फिर चर्चाओं का बाजार गर्म हो रहा है।