एक्टिंग के डिपार्टमेंट में पीएस2 फिल्म को मिलते हैं फुल मार्क्स, पेचीदा है कहानी

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मुंबई। बॉलीवुड वालों के साथ दिक्कत ये है कि उनके पास कहानी नहीं होती और इस बार साउथ वालों के साथ दिक्कत ये है कि कहानी तो है लेकिन इतनी पेचीदा है कि समझने में आप बाल नोच डालेंगे। पीएस 1 देखने के बाद लगा था कि अगर वो नॉवेल पढ़ी होती जिसपर ये फिल्म आधारित है तो शायद फिल्म समझ आती । ये भी लगा कि पहले पार्ट में तो इंट्रोडक्शन है। दूसरे में मजा आएगा। मजा तो आया लेकिन कहानी समझना एक सजा भी बन गया। आगे बैठे दर्शक ने इंटरवल में कहा कि क्या बोरिंग फिल्म है यार। इससे अच्छी तो सलमान की फिल्म थी। यानि किसी का भाई किसी की जान। लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं कि पीएस2 खराब है। हां ये सबके लिए नहीं है।
ये कहानी है चोल साम्राज्य और उसके अंदर चल रही राजनीति की। पहले पार्ट में किरदारों के इंट्रोडक्शन के साथ दूसरे पार्ट में कहानी आगे बढ़ती है। और हर किरदार अपना रंग दिखाता है। किरदार इतने सारे हैं और उनके नाम इतने सारे हैं कि आप अगर चोलों के इतिहास के बारे में पहले से नहीं जानते तो आप कन्फ्यूज होंगे ही होंगे। तो इनके बारे में पढ़कर ही जाएगा तो ही फिल्म समझ में आएगी। फिल्म में नंदिनी के किरदार में ऐश्वर्या राय बच्चन छा गई है। वो लगी भी खूबसूरत हैं औऱ एक्टिंग भी उन्होंने शानदार की है। उन्हें स्क्रीन पर देखकर मजा आ जाता है। विक्रम का काम भी गजब का है। विक्रम और ऐश्वर्या के बीच का सीन शानदार लगता है । कार्थी, जयम रवि, त्रिशा, ऐश्वर्या लक्ष्मी, शोभिता धुलिपाल सबने कमाल की एक्टिंग की है। एक्टिंग के डिपार्टमेंट में इस फिल्म को फुल मार्क्स मिलते हैं।
ये फिल्म उन दर्शकों को बहुत पसंद आएगी जो इस कहानी के बारे में जानते हैं। जिन्होंने इसके बारे में पढ़ा है लेकिन जिन्हें इस नॉवेल के बारे में नहीं पता वो कन्फयूज होंगे। फिल्म के सीन तो आप एन्जॉय करेंगे लेकिन शायद कहानी को आपस में जो़ड़ नहीं पाएंगे। फिल्म ग्रैंड लगती है। लोकेशन्स शानदार हैं। किरदार अच्छे लगते हैं। डायलॉग जबरदस्त हैं लेकिन फिर भी आप कहानी समझने में लगातार स्ट्र्गल करते हैं।
मणिरत्नम का डायरेक्शन अच्छा है। फिल्म को ग्रैंड बनाने में मणिरत्नम ने कोई कसर नहीं छोड़ी है लेकिन कहानी कहने का तरीका हिंदी दर्शकों के लिए थोड़ा और सिंपल होना चाहिए था। ये फिल्म उन्हें ही ठीक से समझ आएगी जो चोल साम्राज्य के बारे में पहले से पढ़कर जाएंगे लेकिन फिल्म देखने से पहले किताब कौन पढ़ता है। ए आर रहमान का म्यूजिक अच्छा लगता है। फिल्म की कहानी और पेस के हिसाब से गाने फिट बैठते हैं। फिल्म में सिनेमैटोग्राफी शानदार है। कई लोकेशन्स तो ऐसी है कि आप देखते रह जाएंगे।

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