रामपुर तिराहा हत्याकांड पर कभी अफसोस नहीं जताया
पहाड़ के लोगों ने भी कभी सपा को नहीं स्वीकारा
देहरादून। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह अब नहीं रहे है। आज उनका निधन हो गया देश भर के नेताओं ने उनके निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी उनके निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है। लेकिन मुलायम सिंह के निधन की खबर ने पहाड़ के जनमानस को एक बार फिर रामपुर तिराहा कांड की यादों को ताजा कर दिया है।
पृथक राज्य आंदोलन के दौरान 2 अक्टूबर 1994 की उस घटना को प्रदेश के लोग कभी नहीं भूलना चाहते हैं जब निर्दाेष और निहत्थे राज्य आंदोलनकारियों का रास्ता रोककर रामपुर तिराहे पर उन पर लाठी डंडे बरसाए गए थे और गोलियां चलवाई गई इस घटना में न सिर्फ 7 आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी बल्कि दर्जनों लोग घायल भी हुए थे महिलाओं का अपमान भी हुआ था। यह घटना जिस समय घटी थी उस समय यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे।
मुलायम सिंह नहीं चाहते थे कि उत्तर प्रदेश का विभाजन हो और उत्तराखंड अलग राज्य बने। यही कारण था कि राज्य आंदोलन को दबाने के लिए उनकी सरकार द्वारा हर संभव प्रयास किया गया था। रामपुर तिराहा कांड इसका एक उदाहरण है। यह बात अलग है कि रामपुर तिराहे कांड के कारण ही पृथक राज्य आंदोलन को गति मिली और वह अपनी अंतिम परिणति तक पहुंच सका। उत्तराखंड के लोगों की मुलायम सिंह और समाजवादी पार्टी से नाराजगी का यह कारण भी था कि उन्होंने इस घटना पर कभी अफसोस तक जाहिर नहीं किया।
उत्तराखंड के लोगों की इस नाराजगी को इस बात से भी समझा जा सकता है कि राज्य गठन के 22 साल बाद भी राज्य में सपा अपना कोई वजूद नहीं बना सकी है जबकि राज्य के कई पुराने समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इसके भरपूर प्रयास किए। राज्य के लोगों ने उन सपा नेताओं को विधानसभा तो क्या पार्षद का चुनाव भी नहीं जीतने दिया है। भले ही सपा का उत्तर प्रदेश में दबदबा रहा हो लेकिन उत्तर प्रदेश का कभी हिस्सा रहे उत्तराखंड में न कभी सपा का कोई वजूद रहा है न आगे बढ़ने की कोई संभावना है। और इसके पीछे सिर्फ रामपुर तिराहा कांड एकमात्र वजह रहा है जिसे उत्तराखंड के लोग कभी न भूले हैं न भूलने को तैयार हो सकते हैं।