पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों से यह साफ हो गया है कि देश में प्रधानमंत्री मोदी का जादू अभी भी बरकरार है। पांच में से चार राज्यों में भाजपा की सफलता इसका प्रमाण है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में उसकी फिर धमाकेदार वापसी ने यह साबित कर दिया है कि अब विपक्ष उसके आसपास भी नहीं ठहर पा रहा है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी छोटे—छोटे क्षेत्रीय दलों को साथ लेकर भाजपा की योगी सरकार को उखाड़ फेंकना चाहती थी वह 2017 की तरह एक बार फिर अपनी कोशिशों में नाकाम हो गई है। वही उत्तराखंड में भी कांग्रेस के परिवर्तन के दावे गलत साबित हुए हैं। 2017 के चुनाव की तरह भले ही कांग्रेस का प्रदर्शन उतना खराब न रहा हो लेकिन वह अपने प्रदर्शन में कोई ऐसा सुधार भी नहीं ला सकी जिसकी वह उम्मीद लगाए बैठी थी। खास बात यह है कि पूर्व सीएम हरीश रावत जो इस चुनाव को अपने राजनीतिक जीवन की अंतिम पाली के रूप में घोषित कर चुके हैं उनके लिए वर्तमान चुनाव किसी सेट बैक से कम नहीं है। कांग्रेस के उत्तराखंड में चुनाव हारने के साथ ही हरीश रावत का राजनीतिक कैरियर भी समाप्त हो जाएगा जहां तक बात मणिपुर की है वहां भी भाजपा की सरकार का बनना तय है और गोवा में भी भाजपा की सरकार बरकरार रहेगी। आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव एक बड़ी उपलब्धि के रूप दर्ज हुआ है। अब तक दिल्ली केंद्र शासित राज्य की सत्ता तक सीमित रहने वाली आम आदमी पार्टी ने पंजाब में बड़ा धमाका करते हुए अपने सभी प्रतिद्वंद्वियों को चारों खाने चित करते हुए दिल्ली से भी बड़ी बंपर जीत दर्ज करने में सफलता हासिल की है। पंजाब में आम आदमी पार्टी जिस बंपर बहुमत के साथ सत्ता में आई है वह इतिहास है। दिल्ली की तरह ही पंजाब में रिकॉर्ड बहुमत के साथ सत्ता में आने वाली आम आदमी पार्टी के लिए यह जीत इसलिए भी अधिक मायने रखती है क्योंकि यह पहला स्वशासित राज्य होगा जहां आम आदमी पार्टी सरकार बनाएगी। समग्र रूप में अगर इन पांच राज्यों के चुनावों को देखा जाए तो यह चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि साबित हुआ है। भले ही वह उत्तराखंड में कोई करिश्मा न दिखा सकी हो और गोवा में भी उसे कोई बड़ी कामयाबी न मिली हो लेकिन अकेले पंजाब की सफलता के जरिए उसने एक नया इतिहास लिख दिया है। अगर बात कांग्रेस के बारे में की जाए तो इस चुनाव से यही संकेत मिलते हैं कि वह सबसे बड़ी लूजर पार्टी बन चुकी है और अब उसका अस्तित्व दिन—ब—दिन समाप्ति की ओर ही बढ़ रहा है। इस चुनाव में उसके हिस्से में सिर्फ असफलता ही आई है वहीं बसपा का हाल भी कांग्रेस से इतर नहीं है अन्य राज्यों में तो उसका सूर्य पहले ही अस्त हो चुका था लेकिन अब यूपी में भी उसका जनाधार खिसक चुका है। समाजवादी पार्टी भी उत्तर प्रदेश में लगातार दो चुनावों में हार के बाद अब अपने अस्तित्व को बचाने की जंग लड़ती दिखाई दे रही है। इस चुनाव के परिणामों से एक बार फिर यह सिद्ध हो गया है कि देश में अभी भी मोदी का जादू बरकरार है और भाजपा इसी मोदी लहर पर सवार है। भले ही राज्य सरकारों का प्रदर्शन कैसा भी रहे लोग मोदी और योगी के अब साथ खड़े हैं।