राज्य में 1671 सरकारी विघालयों में लटका ताला

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  • 3, 573 विघालय बंद होने की कगार पर

देहरादून। उत्तराखंड में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के भले ही हमेशा से दावे किए जाते रहे हो, लेकिन हालात सुधरने के बजाए बिगड़ते ही जा रहे हैं। विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य के सरकारी स्कूल लगातार छात्रविहीन हो रहे हैं। हाल यह है कि 1,671 सरकारी विघालयों में ताला लटक गया है, जबकि अन्य 3573 बंद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं।
बताया जा रहा है कि 102 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें हर स्कूल में मात्र एक—एक छात्र अध्ययनरत हैं। प्रदेश में एक अप्रैल 2024 से नया शिक्षा सत्र शुरू हो रहा है, लेकिन इस सत्र के शुरू होने से पहले ही राज्य के कई विघालयों में ताला लटक गया है। शिक्षा महानिदेशालय ने हाल ही में राज्य के सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों से जिलों में बंद हो चुके विघालयों की रिपोर्ट मांगी थी।
जिलों से मिली रिपोर्ट के अनुसार सरकारी विघालय छात्रविहीन होने से लगातार बंद हो रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 3,573 विघालयों में छात्र संख्या 10 या फिर इससे भी कम रह गई है। इसमें सबसे अधिक 785 स्कूल पौड़ी जिले के हैं, जबकि सबसे कम तीन स्कूल हरिद्वार जिले के हैं। राज्य में पौड़ी एकमात्र ऐसा जिला है, जिसमें सबसे अधिक 315 स्कूलों में ताला लटक चुका है, जबकि ऊधमसिंह नगर जिले में सबसे कम मात्र 21 स्कूल बंद हुए हैं। छात्र न होने की वजह से राज्यभर में 1,671 स्कूल बंद हो चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार राज्य में अल्मोड़ा जिले में 197, बागेश्वर में 53, चमोली में 133, चंपावत में 55, देहरादून में 124, हरिद्वार में 24, नैनीताल में 82, पौड़ी में 315, पिथौरागढ़ में 224, रुद्रप्रयाग में 53, टिहरी गढ़वाल में 268, ऊधमसिंह नगर में 21 और उत्तरकाशी जिले में 122 स्कूलों में ताला लटक चुका है।
प्रदेश की बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के लिए प्रयोगशाला बनी हैं। पूर्व में अटल उत्कृष्ट विघालय, मॉडल विघालय, क्लस्टर विघालय आदि के रूप में कई प्रयोग किए जा चुके हैं, जबकि अब शिक्षा में फिनलैंड मॉडल अपनाने का दावा किया जा रहा है। इसे लेकर मंत्री के साथ विभागीय अधिकारियों की एक टीम चार दिन फिनलैंड और स्विटजरलैंड का दौरा कर चुकी है।

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