केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकार को लखीमपुर खीरी कांड ने इतना असहज कर दिया है कि भाजपा नेताओं को अब तक भी यह समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करें। पूरा शासन—प्रशासन भले ही इस मुद्दे पर कानून व्यवस्था को संभाले रखने में सफल रहा हो लेकिन अभी भी कई सवाल ऐसे हैं जिनका समाधान उसे नहीं मिल रहा है। घटना के 4 दिन बाद तक नामजद एफ आई आर होने तथा गंभीर धाराओं के बावजूद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई है। आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और मंत्री स्वयं को निर्दाेष बताकर सरकारी कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। भाजपा ने अब तक मंत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की है? लखीमपुर घटना ऐसे समय में घटित हुई है जब यूपी व उत्तराखंड सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले है। सवाल यह है कि अगर एक आम आदमी ऐसी गंभीर आपराधिक वारदात का आरोपी होता तो पुलिस प्रशासन अब तक उसे कब का गिरफ्तार कर जेल भेज चुका होता। 302 और 307 जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी भाजपा सरकार और प्रशासन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई न करके यह सिद्ध करने का प्रयास कर रहा है कि आरोपी निर्दाेष है। भाजपा अगर अपने मंत्री और मंत्री पुत्र पर कोई कार्यवाही करती है तो इससे यही संदेश जाएगा कि भाजपा ने उन्हें दोषी मान लिया है। लेकिन इस मामले में क्योंकि देश की सर्वाेच्च अदालत द्वारा खुद संज्ञान ले लिया गया है। दरअसल भाजपा नेता अभी इस मामले की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं। जिस किसान आंदोलन के दबाने कुचलने में भाजपा सरकारें जुटी हुई है उस भाजपा के नेता व कार्यकर्ता अगर आंदोलनकारी किसानों को अपनी कारों से रौंद कर उनकी हत्या कर दें उसका क्या संदेश पूरे देश में जाएगा। इसमें कोई शक नहीं है कि यूपी के शासन प्रशासन ने जितनी ताकत का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को लखीमपुर जाने से रोकने और आरोपियों के संरक्षण में देने में लगाई है उसकी आधी ताकत भी अगर वह इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को रोकने मे लगाई होती तो यह घटना घटी ही नहीं होती। यह अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा के प्रवक्ता और नेता विपक्षी दलों के नेताओं को लखीमपुर खीरी जाने व पीड़ित परिवारों से मिलने को नकारात्मक राजनीति करने और पर्यटन पर जाने पर बताया जा रहा है यह राजनीति मर्यादाओं की गिरावट की प्रकाष्ठा ही है। भाजपा नेता जो दम्भ और अहंकारी राजनीति के शिकार हो चुके हैं वह न सिर्फ भावी भविष्य के लिए अति घातक संकेत है बल्कि भाजपा के भविष्य के लिए भी सुखद नहीं कहे जा सकते हैं। भाजपा अब इस घटना पर चाहे कितनी ही लीपापोती कर ले लेकिन इसे लेकर उसकी जो किरकिरी हो रही है उसकी प्रति छाया से आगामी पांच राज्यों के चुनाव भी नहीं बच सकेंगे। अच्छा होता भाजपा दोषियों पर कार्रवाई के लिए खुद आगे आकर पहल करती।