- मास्टर प्लान की आड़ में बन रही है बहुमंजिला इमारतें
चमोली। बद्रीनाथ धाम में चल रहे मास्टर प्लान के तहत किये जा रहे निर्माण कार्यों की आड़ में जो अवैध निर्माण हो रहा है वह नारायणपुरी के लिए अभिशाप साबित हो रहा है अगर इन निर्माण कार्यों को सख्ती से नहीं रोका गया तो आने वाले समय में इसके नतीजे भी 2013 में आई केदारपुरी आपदा या फिर जोशीमठ की भूधसाव जैसी आपदा जैसे सामने आ सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा केदारपुरी के नवनिर्माण के बाद नारायणपुरी के सौंदर्यीकरण के लिए बनाए गए मास्टर प्लान के तहत यहां धाम में अनेक काम किये जा रहे हैं। मंदिर के आसपास के क्षेत्र में यात्रियों की सुविधाओं को बढ़ाने उनके ठहरने, खाने—पीने और शौच आदि की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए बाजार से लेकर अलकनंदा नदी के तट को सजाने संवारने के लिए बड़े स्तर पर निर्माण कार्य किये जा रहे हैं लेकिन यहां चल रहे मास्टर प्लान की आड़ में तमाम तरह के अवैध निर्माण कार्य भी किये जा रहे है। जिसके कारण कुछ लोग यहां बड़े—बड़े भवनों का निर्माण कर रहे हैं होटल और लॉज बनाये जा रहे हैं हालात यह है कि यहां कई मंजिलों की इमारतें बन चुकी है।
बद्रीनाथ धाम में होने वाले इन निर्माण कार्यों के बारे में जिलाधिकारी चमोली का कहना है कि इस पर नजर रखी जा रही है तथा जो अवैध निर्माण और समतलीकरण का काम हो रहा है उसे सीज किया जा रहा है। लेकिन इसके बावजूद भी अवैध निर्माण पर प्रतिबंध नहीं लग पा रहा है तो इसका सीधा आशय है कि शासन प्रशासन द्वारा कहीं न कहीं इसमें लापरवाही बरती जा रही है।
अभी जोशीमठ में भूधसाव के कारण इस ऐतिहासिक नगर के अस्तित्व पर जो खतरा आया हुआ है उससे हम सभी वाकिफ है 10 वैज्ञानिक संस्थानों की सर्वे रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की जा चुकी है कि जोशीमठ भू धसाव का प्रमुख कारण यहां हुआ अनियोजित विकास और प्रकृति के साथ छेड़छाड़ तथा भूमि की वहन क्षमता से अधिक निर्माण कार्य ही है। अब वही काम सौंदर्यीकरण के नाम पर हो रहे नवनिर्माण और उसकी आड़ में किये जा रहे अवैध निर्माण के जरिए किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार के कार्यकाल में कराई गई एक सर्वे में यहां कोई नवनिर्माण न करने की बात कही गई थी बावजूद इसके नारायणपुरी में भव्य इमारतो का बनना प्राकृतिक आपदा को निमंत्रण देने जैसा ही है। अगर इन अवैध निर्माणों पर रोक नहीं लगाई जाती है तो हमें केदारपुरी और जोशीमठ जैसी आपदाओं के लिए तैयार रहना चाहिए।