नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर पंद्रह करोड़ रुपये की नकदी मिलने के बाद, पूर्व सॉलिसिटर जनरल और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने न्यायपालिका की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति करने वाली कॉलेजियम प्रणाली में कमियाँ हैं और न्यायपालिका में अधिक पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है। साल्वे ने कहा, “अगर यह पैसा आप जैसे आम लोगों के घर में मिलता तो ईडी आती, लेकिन इस मामले में न्यायाधीश को केवल एक अदालत से दूसरी अदालत में स्थानांतरित करना गलत है।” मूल रूप से, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन कॉलेजियम ने ऐसा कुछ नहीं किया। इस मामले में आंतरिक जाँच पर्याप्त नहीं है, बल्कि न्यायपालिका ही मुकदमे में फँसी हुई है। इसलिए, उन्होंने कहा है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति करने वाली कॉलेजियम प्रणाली ही अनुचित है। साल्वे ने यह भी सवाल उठाया कि अगर यह पैसा गृह सचिव या वित्त सचिव के पास मिलता, तो क्या सरकार उन्हें निलंबित कर देती?