नौ—दस दिसम्बर को दून में होगा अंतिम सत्र
गैरसैंण राजधानी पर सिर्फ राजनीति हावी
देहरादून। गैरसैंण में शीतकालीन सत्र आयोजित करने का निर्णय लेने वाली सरकार ने अब अपने फैसले को बदल दिया है। राज्य की चतुर्थ विधानसभा का अंतिम और शीतकालीन सत्र अब देहरादून में आयोजित किया जाएगा। इस फैसले से एक बार फिर साफ हो गया है कि भले ही सूबे के नेता गैरसैंण को स्थाई राजधानी का बनाने का कितना भी राग अलापते रहे हो लेकिन इसे लेकर वह कतई भी संजीता नहीं है। उन्हें गैरसैंण की हाड़ कंपा देने वाली सर्दी से डर लगता है और वह यहां एक—दो रात बिताने से भी कतराते हैं।
उल्लेखनीय है कि धामी सरकार का अंतिम और शीतकालीन सत्र 7—8 दिसंबर को गैरसैंण में आयोजित किया जाना था लेकिन अब यह सत्र देहरादून में 9 व 10 दिसंबर को आयोजित किया जाएगा। इस आशय की जानकारी विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा दी गई है। विधानसभा सत्र की तारीखें बदलने के पीछे भाजपा की सैनिक सम्मान यात्रा के समापन को बताया जा रहा है। जानकारी यह भी मिली है कि नेता विपक्ष प्रीतम सिंह ने भी शीतकालीन सत्र देहरादून में आयोजित करने पर अपनी सहमति जताई है।
राजधानी गैरसैंण को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच लंबे समय से श्रेय की लड़ाई जारी है। भाजपा ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित जरूर कर दिया है लेकिन गैरसैंण के विकास और अवस्थापना कार्यों को लेकर कुछ न करने के मुद्दे पर कांग्रेस भाजपा की घेराबंदी करती रही है तथा अपनी सरकार बनने पर गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने का दावा कर रही है। गैरसैंण में शीतकालीन सत्र के आयोजन की घोषणा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बड़े धरने, प्रदर्शन और विधानसभा घेराव की घोषणा कर रखी थी लेकिन अब जब सत्र गैरसैंण की बजाए दून में आयोजित किया जा रहा है और इसमें नेता विपक्ष की भी सहमति है तो अब हरीश रावत व गणेश गोदियाल क्या करेंगे? इसे लेकर कांग्रेस में तकरार हो सकती है।
पिछले अनुभव यही बताते हैं कि शीतकालीन में जब भी गैरसैंण में विधानसभा सत्र आहूत किए गए हैं तो व्यवस्थाएं डांवाडोल ही रही है। ठंड की मार झेल पाने के कारण इन सत्रों का समापन समय पूर्व ही किया जाता रहा है। भले ही गैरसैंण पर राजनीति करने में सूबे के नेता अव्वल रहे हो लेकिन उनका समर्पण शुन्य ही दिखाई देता है।
किशोर ने जताया अफसोस
देहरादून। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर उपाध्याय ने विधानसभा सत्र का स्थान और समय बदलने पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें सरकार से इस तरह की अपेक्षा नहीं थी। उन्होंने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर भराड़ीसैंण का नाम राज्य के अग्रणीय प्रेणयता इंद्रमणि बडोनी के नाम पर इंद्र मणिपुरम रखने का सुझाव दिया था लेकिन यह जानकर दुख हुआ कि अब सरकार ने सत्र का स्थान ही बदलकर देहरादून कर दिया है। उन्होंने कहा कि पहले सत्र 29—30 नवंबर को होना था जिसे 6—7 दिसंबर कर दिया गया और अब इसे 9—10 दिसंबर कर दिया गया है यह ठीक नहीं है।