पहलगाम में हुए आतंकी हमले को एक सप्ताह का समय बीत चुका है। देशवासियों के आक्रोश और गुस्से में कोई भी कमी नहीं है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक मशालों—मौन जुलूसों का क्रम जारी है। समूचा विपक्ष एक स्वर से इसकी निंदा और सरकार को पूरा—पूरा समर्थन कर रहा है। हर मुद्दे पर भाजपा और मोदी सरकार हिंदू—मुस्लिम व भारत—पाकिस्तान का नरेशन बनाने वाला देश का मीडिया अपनी तमाम कोशिशों में नाकाम दिखाई दे रहा है थोड़ी डांट फटकार खाने के बाद उसे भी समझ आता दिख रहा है कि वह जिस तरह की पत्रकारिता करता चला आ रहा है वह हर स्थिति में उचित नहीं है। विपक्ष जो सरकार को हर मुद्दे पर सिर्फ घेरता ही रहता था उसके हर फैसले का अब स्वागत कर रहा है और सत्ता पक्ष विपक्ष पर जो राजनीति करने का आरोप लगाता था वह मौन है। क्योंकि विपक्ष द्वारा इस बार उसे ऐसा कोई मौका ही नहीं दिया जा रहा है। बीते कल पाक चैनलों पर प्रतिबंध के कदम का कांग्रेस प्रवक्ता श्रीनेत्र ने स्वागत किया है। कल जम्मू कश्मीर की विधानसभा में सीएम उमर अब्दुल्ला ने जो कहा सुनने लायक है। हमले से सुरक्षा न पाने का दुख और पीड़ितों के परिजनों से माफी मांगने के लिए अपने पास शब्द नहीं होने की बात कहने वाले अब्दुल्ला का हममें से कोई भी इसका समर्थन कर सकता है किसी भी आतंकी हमले के बाद पहली बार पूरे कश्मीर के लोगों का इसके खिलाफ सड़कों पर उतरना यह बताता है कि भारत अब बदल रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता से लेकर बिहार में लालू यादव के बेटे खुद शांति प्रदर्शनों की मशालाेंं को हाथों में थामें देखे जा सकते हैं। ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार की जिम्मेदारियां और भी अधिक बढ़ जाती है। क्योंकि पूरा देश अब मोदी सरकार के उस जवाब का इंतजार कर रहा है जैसी प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की है। कश्मीर में आतंकियों के घरों और ठिकानों को नेस्तनाबूद किया जा रहा है। दिल्ली में लगातार बैठकों का दौरा जारी है। पाकिस्तान पर पानी रोकने से लेकर पाक नागरिकों को देश से निकालने तक जितने भी फैसले किए गए हैं उनकी समीक्षा के साथ—साथ आगे की रणनीति पर विचार मंथन का दौर जारी है। देश के तमाम राज्यों में कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा खुद राज्य सरकारों द्वारा की जा रही है अब पहले की तरह उन्हें स्कूल कॉलेज छोड़कर भागने पर मजबूर नहीं किया जा रहा है। एक जुटता की यह जो नई पटकथा देश में लिखी जा रही है वह सरकार का कोई कमाल नहीं है बल्कि विपक्ष की सकारात्मक राजनीति के नतीजे से मुमकिन हो पा रहा है। कांग्रेस ने अपने सभी नेताओं को यह निर्देश दिए है कि पार्टी लाइन से हटकर कोई बयान नहीं देगा। इस बार न कोई मोदी के 56 इंच के सीने पर सवाल उठा रहा है न पाकिस्तान पर बम फोड़ने और हमला करने का दबाव बना रहा है। इस हमले के बाद इस बड़े बदलाव का सबसे अधिक दबाव वर्तमान मोदी सरकार पर है कि वह इसका कैसे जवाब दे और कब दे? लेकिन जवाब तो देना ही पड़ेगा क्योंकि पूरा देश सरकार के जवाब का इंतजार कर रहा है। यह स्थिति बता रही है कि यह बदलते भारत की नई तस्वीर है।