कौन दे रहा चिंगारी को हवा

0
307


संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचन्द्र अग्रवाल से उनके द्वारा सदन में दिये गये आपत्तिजनक बयान को लेकर प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र सिंह भट्ट ने जवाब तलब किया। उन्हें उनकी गलती का अहसास कराते हुए चेतावनी भी दी गयी वहीं उन्होंने कहा कि कुछ लोग प्रदेश का माहौल खराब करने का प्रयास कर रहे हैं। सवाल यह है जो प्रदेश का माहौल खराब कर रहे हैं वह कौन लोग हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि भावावेश में मंत्री प्रेमचन्द्र अग्रवाल के मुंह से कुछ गलत निकल गया और उन्होंने अपनी उस गलती को स्वीकार भी कर लिया तभी उसके लिए सदन में खडे होकर खेद भी व्यक्त कर लिया। इसके बावजूद भी यह मामला शांत होने की बजाय और अधिक तूल पकडता जा रहा है तो सिके पीछे कुछ तो हैं। जहां तक एक तरफ विपक्ष कांग्रेस को सत्तापक्ष को घेरने का एक मुददा मिल गया और उसके कुछ नेता इसे अपनी राजनीति चमकाने में जुट गये हैं वहीं सत्ता पक्ष के कुछ लोग जिन्हें मुख्यमंत्री धामी का नेतृत्व पच नहीं पा रहा है अथवा चार बार के विधायक और मंत्री प्रेमचन्द्र अग्रवाल के बढते राजनीति प्रभाव से दिक्कतें हो रही वह सभी पर्दे के पीछे रह कर इस मामले को तूल देने में लगे हुए हैं। खास बात यह है कि इस मामले को शांत करने में जुटी विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूरी को भी निशाने पर लेने में यह लोग पीछे नहीं है। स्पीकर को कुर्सी पर बैठकर एक अध्यक्ष के रूप में ऋतु खण्डूरी द्वारा जो कुछ कहा गया या फिर किया गया उसके पार्टी और राज्य हित में अनुचित नहीं ठहराया जा सकता है उनकी जगह कोई भी स्पीकर की कुर्सी पर बैठा होता वह वही करता जो उन्होंने किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा इस मामले को रफादफा करने के जो प्रयास किये गये उसको लेकर भी अगर कोई सवाल उठाता है तो फिर ऐसे लोगों की इसके पीछे क्या मंशा है। इस तो उनके ऊपर लगने वाले आरोप का सत्य जानने के लिए उनके मुंह से निकले कुछ शब्दों को हाईलाइट कर या काटछाट कर उसकी क्लिपिंग दिखाने का काम जो सोशल मीडिया पर किया जा रहा है वह खुद मीडिया की उपज नहीं हो सकती उसके पीछे भी कोई न कोई सोर्स तो काम कर रही है। कुल मिलाकर इस सबके पीछे 2027 के चुनाव को ही माना जा रहा है जिसक े लिए सब अपनी—अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने में जुटे हैं। यह विवाद अगर सबसे अधिक किसी को राजनीतिक नुकसान पहुंचा सकता है वह भाजपा को ही होगा। इसलिए भाजपा संगठन और सरकार में बैठे लोगों की जिम्मेदारी है वह उन लोगों को चिन्हित करें जो इसे हवा देने के काम में जुटे हुए है। जहां तक उत्तराखण्ड के सामाजिक माहौल को खराब किये जान या फिर खराब होने की बात है तो बीते कुछ सालों लव जिहाद और लैड जिहाद तथा बुल्डोजर की राजनीति का आगे बढाने के कारण पहले ही बहुत हद तक खराब हो चुका था जो थोडी बहुत कमी बची थी वह यूसीसी लागू किये और अब सदन में हुए देसी और पहाडी के विवाद ने पूरी कर दी थी। विधायकों बीच वर्चस्व की जंग में लहराये जाने वाले वाले हथियार यह बताने के लिए काफी है कि अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड की राजनीति में कोई खास अंतर नहीं रह गया है। इस राज्य की राजनीति जिस दिशा में जा रही है उसके प्रभाव से ना मीडिया अछूता रह सकता है और न ही समाज। इसे कैसे रोका जाए देवभूमि उत्तराखण्ड के लिए यह सवाल अब नेताओं व शासन प्रशासन के लिए सबसे अहम हो गया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here