लोकसभा चुनाव 2024 के बाद देश की राजनीति में भारी उथल—पुथल मची हुई है। भले ही एनडीए के नेताओं ने तीसरी बार मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया हो लेकिन भाजपा और मोदी की वर्तमान सरकार को इसकी क्या कीमत चुकानी पड़ रही है यह सिर्फ भाजपा के शीर्ष नेता ही जान सकते हैं। संसद से लेकर सड़कों तक विपक्ष के नेताओं द्वारा क्या—क्या नहीं सुनाया जा रहा है यह अलग बात है उन्हें विपक्ष के तेवरों से इस बात का डर भी सता रहा है कि अगर उनकी सत्ता गई तो उनका न जाने क्या हाल होगा? लोकसभा चुनाव के बाद अब तक जिन राज्यों में चुनाव हुए हैं भले ही भाजपा के नेता अपनी कूटनीतियों से अपनी सुरक्षा कर पाने में सफल रहे हो लेकिन ऐसा कर पाना हमेशा संभव नहीं है। वर्तमान में दिल्ली विधानसभा के चुनाव गतिमान है। दिल्ली के इस चुनाव के दौरान मीडिया में कुछ खबरें जोर शोर के साथ प्रचारित की जा रही हैं जिसमें सबसे प्रमुख खबर है इंडिया गठबंधन के टूटने और बिखरने की। इंडिया ब्लॉक के गठन से लेकर अब तक यह खबर हमेशा सुर्खियों में रही है जिसकी वजह है भाजपा की वह मंशा जिसमें उसका वह डर छुपा है कि विपक्ष की एकजुटता उससे सत्ता छीन सकती है। मीडिया का एक हिस्सा जो सरकार के लिए काम करता है वह लगातार इस प्रचार में लगा रहता है कि दिल्ली में कांग्रेस ने सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया तो प्रचार शुरू हो गया बिखर गया, इंडिया गठबंधन। ममता व अखिलेश तथा उद्धव ठाकरे ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की तो बिखर गया इंडिया गठबंधन, इस तरह का प्रचार लगातार जारी है। खास बात यह है कि लोकसभा चुनाव के लिए बने इंडिया गठबंधन ने अब तक इन बिखरावों की खबरों की बीच इतनी मजबूती हासिल कर ली है कि इसका बिखरना बहुत आसान नहीं है। कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है जो देश के सभी राज्यों में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए चुनाव लड़ेगी, और उसे लड़ना भी चाहिए। ठीक वैसे ही क्षेत्रीय दल अपने—अपने प्रभाव क्षेत्र वाले राज्यों में अगर चुनाव नहीं लड़ेंगे और नहीं जीतेंगे तो उनका तो अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा? इंडिया गठबंधन का हर राज्य में एक नेता है जैसे यूपी में अखिलेश व पश्चिम बंगाल में ममता व बिहार में तेजस्वी ठीक वैसे ही इंडिया गठबंधन की कमान कांग्रेस के हाथ में है और उसके नेता राहुल गांधी हैं। इंडिया गठबंधन के शीर्ष नेताओं का अपने सहयोगियों को साफ कहना है कि वह 172 सांसद लाये कांग्रेस उन्हें बिना शर्त बाहर से समर्थन देने को तैयार है केंद्र में वह अपनी सरकार बना ले। राजनीति के खेल बड़े ही विचित्र है आंकड़ों के इस खेल में कब क्या कुछ हो सकता है इसकी संभावनाएं हमेशा बनी रहती है। नीतीश और नायडू के समर्थन के बाद भी मोदी सरकार कभी भी जा सकती है। विपक्षी एकता व प्रयास अगर मोदी सरकार के बजट को पास होने से रोकने में सफल हो गये तो वर्तमान सरकार दिल्ली के चुनाव से पहले ही धराशाई हो सकती है। ऐसी उथल—पुथल के बीच सत्ता चलाने वाले क्या चैन से सो सकते है?