उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कल एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि राज्य में भूमाफिया पर सख्ती से लगाम कसी जाएगी और बहुत जल्द एक नया सशक्त भू कानून लाया जाएगा। इस घोषणा पत्र से वह लोग खुश हो सकते हैं जो राज्य में एक कड़ा भू कानून लाने और मूल निवास के मुद्दे को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन उन्हें सरकार से यह भी पूछना चाहिए कि कितनी बार भू कानून लाया जाएगा और फिर उस भू कानून में कितनी बार और संशोधन किए जाएंगे? सत्ता की बागडोर जिस भी पार्टी और व्यक्ति के पास आ जाती है वह अपने हिसाब से नया कानून ले आता है और कानून में संशोधन भी किए जाते रहे हैं। मुख्यमंत्री धामी का कहना है कि पुराने कानून के अनुसार एक व्यक्ति द्वारा ढाई सौ वर्ग मीटर जमीन खरीद की व्यवस्था की गई थी लेकिन एक ही परिवार के कई अलग—अलग लोगों के नाम जमीन खरीद कर लैंड बैंक बना लिया गया अब इन सभी की जांच होगी और उनकी जमीन छीन कर सरकार में निहित कर ली जाएगी। सवाल यह है कि आपने अपने भू कानून में एक व्यक्ति के नाम ढाई सौ वर्ग मीटर जमीन खरीद का कानून क्यों बनाया गया था इसे एक व्यक्ति द्वारा ढाई सौ वर्ग मीटर क्यों नहीं बनाया गया। जिस परिवार में चार भाई हैं अगर उन्होंने चार नामों से 1000 वर्ग मीटर जमीन खरीदी भी है तो वह आपके कानून के अनुसार ही खरीदी है। आप अब कानून बदलकर तीन भाइयों की हिस्से की जमीन को कौन से कानूनी अधिकार से छीन सकते हैं। वही सीएम धामी द्वारा उन जमीनों को भी छीनने की बात की गई है जो खरीदी तो किसी और उद्देश्य के लिए थी लेकिन उनका प्रयोग अब दूसरे उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। जहां तक लैंड यूज की बात है तो लैंड यूज चेंज करने का जो खेल राज्य में लंबे समय से जारी है क्या उसकी जानकारी अब सरकार को हो सकी है। बात अगर देहरादून की ही की जाए तो लाखों हेक्टेयर कृषि भूमि और बागवानी की भूमि जहां आम और लीची के बाग तथा बासमती चावल की फसल लहलहाती थी वहीं अब ऊंचे ऊंचे शॉपिंग कांप्लेक्स और रेजिडेंशियल भवन खड़े हो चुके हैं। क्या मुख्यमंत्री धामी इन सभी को उजाड़ कर वहां फिर से बागवानी और खेती को बहाल कर पाएंगे? बात की जाती है कि ढाई सौ वर्ग मीटर की जमीन निगम व पालिका क्षेत्र में खरीद सकते हैं अभी बीते समय में दून नगर निगम ने 30 नए वार्ड बनाए गए और वार्डों की संख्या 70 से बढ़कर 100 कर दी गई। आने वाले समय में इनकी संख्या 150 या 250 नहीं की जाएगी क्या इसकी कोई गारंटी होगी? आज जो निकाय क्षेत्र से बाहर जमीन खरीदता है कल वह निकाय क्षेत्र में आ ही जाएगी। 2017 के भू कानून में जो व्यवस्था की गई थी उसमें पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह ने भी संशोधन किया था आज पुष्कर सिंह धामी है तो वह भी जो चाहे संशोधन भू कानून में कर सकते हैं। उनके बाद जो भी इस कुर्सी पर बैठेगा वह अपने हिसाब से जो चाहे करेगा। रही बात जमीनों की सुरक्षा की तो 20 साल में जमीनों का जो खेल होना था वह लगभग हो ही चुका है। अब तक एक—एक जमीन कई कई बार खरीदी बेची जा चुकी है। कुछ अवसर शेष बचे हैं। हां इस मुद्दे पर वोट की राजनीति जरूर अभी की जा सकती है। क्योंकि यह मुद्दा आम आदमी की भावनाओं से जुड़ा है बाकी तो अब कुछ बचा ही नहीं है।