पहलवानों पर राजनीतिक दांव

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अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में देश का नाम रोशन कर चुके दो खिलाड़ी विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली। खेल का मैदान छोड़कर राजनीति के मैदान में कूदने वाले इन दोनो खिलाड़ियों ने पहले रेलवे के दफ्तर जाकर रेलवे की उस नौकरी से इस्तीफा दे दिया जो उन्हे खेल कोटे से दी गयी थी। विनेश और बजरंग का नाम उन दिनों चर्चाओं के केन्द्र में रहा था जब महिला रेसलर्स द्वारा केन्द्रीय मंत्री व कुश्ती संघ के अध्यक्ष भाजपा नेता बृजभूषण सिंह पर यौन शोषण के आरोपों को लेकर जंतर—मतंर पर धरना प्रदर्शन किया गया था तथा अपने पदक लौटा दिये गये थे। उस समय सत्ता की हनक के कारण किसी ने इन महिला पहलवानों की बात नहीं सुनी थी और दिल्ली पुलिस भी उन्हे सड़कों पर घसीटती दिखी थी। इस घटना को लेकर देश भर में सत्ता में बैठे लोगों की भारी किरकिरी हुई थी। समूचा सत्ता पक्ष उस समय बृजभूषण को बचाने में जुटा हुआ था। जनवरी से अप्रैल तक इन महिला रेसलर्स की एक एफआईआर तक पुलिस लिखने तक को तैयार नहीं थी। सत्ता के इतने विरोध ेके बीच भी इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ने वाली विनेश ने पेरिस ओलम्पिक में भाग लेकर और एक ही दिन में पूर्व चैम्पियन सहित तीन पहलवानों को पटखनी देते हुए फाइनल में अपनी जगह बना ली थी। जहंा उनका स्वर्ण या रजत पदक पक्का मान जा रहा था। देश जब उनके प्रदर्शन में खुशी मना रहा था तब प्रधानमंत्री ने भी उन्हे एक बार बधाई देना उचित नहीं समझा था। हां अगले दिन जब वह 100 ग्राम वजन अधिक होने के कारण डिस्क्वालीफाई हो गयी तब उन्हे सांत्वना संदेश भेजने की याद जरूर आयी। यहंा तक की प्रधानमंत्री ने ओलम्पिक में भाग लेने वाले खिलाड़ियों से मिलने के लिए रखे गये कार्यक्रम तक में उनके आने का इंतजार तक नहीं किया। कल विनेश फोगाट कांग्रेस में शामिल हुई तो उन्होने कहा कि उनके बुरे वक्त में उनके साथ भाजपा के अलावा पूरा देश रहा है। मैं जब अंतिम मुकाम में पहुंच कर निराशा और आंसुओ में डूबी थी तब मुझे पता नहीं था कि भगवान ने मेरे लिए इससे भी बड़ा कुछ और सोच रखा है। कांग्रेस के टिकट पर हरियाणा विधानसभा चुनाव में उतरी विनेश ने कहा है कि वह महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और सशक्तिकरण की लड़ाई को और भी मजबूती के साथ लड़ सकेंगी। उन्होने लड़कियों और महिलाओं को संंदेश दिया है कि वह स्वंय को कभी अकेला न समझे मैं और मेरी पार्टी कांग्रेस हमेशा उनके साथ हर एक कठिन समय में खड़ी दिखेगी। उनके साथ कांग्रेस की सदस्यता लेने वाले बजरंग पूनिया को भी कांग्रेस ने किसान कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त कर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गयी है। इन दो खिलाड़ियों के कांग्रेस के साथ आने से कांग्रेस को बड़ी मजबूती मिलना तय माना जा रहा है। विनेश की जीत ही नहीं उनके आने से महिला मतदाताओं का कंाग्रेस को वोट की ओर आकर्षित होना ही है क्योंकि इन पहलवान महिला बेटियों के अपमान का बदला वह भाजपा से लेना चाहती है। वहीं अपनी मांगों को लेकर सालों से संघर्ष कर रहे किसानों को साधने का काम बजरंग पूनिया बखूबी निभाए। किसान और महिला मतदाताओं का साथ अगर कांग्रेस को मिलता है और युवाओं और पिछड़े मतदाओं को साथ लेकर हरियाणा चुनाव में कांग्रेस क बम्पर जीत भी सुनिश्चित मानी जा सकती है। पहलवानों पर खेला गया यह राजनीतिक दांव कांग्रेस के लिए बड़े फायदे का सौदा साबित हो सकता है।

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