एनकाउंटर पर महिमा मंडन क्यों?

0
312


कुमाऊं के नानकमत्ता गुरुद्वारे के प्रधान कार सेवक बाबा तरसेम की हत्या के एक आरोपी बदमाश को हरिद्वार पुलिस और एसटीएफ द्वारा भगवानपुर हाईवे के पास एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया। निश्चित तौर पर पुलिस द्वारा यह एक अच्छा काम किया गया है। जिस बदमाश को मारा गया है वह कुख्यात बदमाश था और उस पर कई आपराधिक मामले दर्ज थे। बाबा तरसेम की हत्या के बाद उत्तराखंड पुलिस ने उस पर एक लाख का इनाम घोषित किया था। अमरजीत सिंह उर्फ बिटृू को एनकाउंटर में मार गिराने के बाद जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देवभूमि में अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है। यही नहीं उन्होंने अपराध मुक्त उत्तराखंड बनाने से लेकर अपराध पर सरकार की जीरो टॉलरेंस जैसी और भी कई बातें कही है। इस कामयाबी पर सरकार और पुलिस जहां अपनी खूब पीठ थपथपा रही है वहीं मीडिया भी इसे मुख्यमंत्री धामी की सख्ती का नतीजा बता कर प्रचारित कर रहा हैं। वही पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार की नियुक्ति के समय ही यह संकेत मिलने की बात की जा रही है कि सूबे में फिर बदमाशों के एनकाउंटर का दौर शुरू होने की संभावना थी जो इस एनकाउंटर से हो गई है। सवाल यह है कि सरकार और पुलिस को क्या एक बदमाश को मार गिराने पर इस तरह के महिमा मंडन की जरूरत है? पुलिस के इस एनकाउंटर में पुलिस द्वारा अंधेरे का फायदा उठाकर एक बदमाश के भागने की बात भी की जा रही है। जब बदमाशों को पुलिस ने घेरा तब वह बाइक पर सवार थे और भाग नहीं सके लेकिन एनकाउंटर स्थल से एक बदमाश फरार हो गया और पैदल भागने वाले इस बदमाश को मौके पर मौजूद भारी पुलिस फोर्स 5 घंटो में भी नहीं तलाश सकी क्या यह पुलिस के लिए शर्मनाक नहीं है कि 50 पुलिस वालों को चकमा देकर एक बदमाश फरार कैसे हो गया जबकि इस एनकाउंटर में शामिल पुलिस कर्मी इतने निशाने बाज थे कि उन्होंने अंधेरे में आठ फायर किये जिसमें से सात गोलियां ठीक निशाने पर लगी। 2009 में हुए रणवीर एनकाउंटर के बाद जो फर्जी सिद्ध हुआ था उत्तराखंड पुलिस ने किसी भी बदमाश को एनकाउंटर में मौत के घाट नहीं उतारा। पुलिस बदमाशों को गोलियां पैरों में मारकर गिरफ्तार करती रही है लेकिन रणवीर एनकाउंटर से डरी सहमी पुलिस का इसका एनकाउंटर से मनोबल थोड़ा जरूर बढ़ा होगा। जो दूसरा बदमाश कल पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया है हो सकता है बहुत जल्द उसे भी एनकाउंटर में ढेर करने में पुलिस सफल हो जाए। उत्तराखंड में वैसे भी बदमाश अब कुछ ज्यादा निडर हो गए हैं उनमें पुलिस का कोई खौफ रहा ही नहीं है। यही कारण है कि राज्य में अपराधों की बाढ़ जैसी आ गई है। इन बढ़ते अपराधों को रोकथाम के लिए पुलिस का सख्त होना भी जरूरी है। तभी बदमाशों में पुलिस और कानून का खौफ पैदा होगा और अपराधों पर लगाम लग सकेगी। सूबे की कानून व्यवस्था को लेकर जो लंबे समय से सवाल उठाए जा रहे हैं कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पुलिस प्रशासन और शासन को सख्ती दिखानी होगी लेकिन ऐसी गंभीरता सभी मामलों में दिखाई देनी चाहिए गिने—चुने मामलों में ही नहीं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here