राजनीति का असल चेहरा?

0
244


क्या राजनीति का अर्थ और मायने सिर्फ अनुचित तरीके से धन लाभ और दबंगई करने तक ही सीमित रह गए जी हां अब इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए। हर छोटे से छोटे स्तर से लेकर बड़े स्तर के देश के नेता इसी काम में जुटे हैं। जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने विशेषाधिकारों का इस्तेमाल या कहिए कि दुरुपयोग खुल्लम—खुल्ला और धड़ल्ले से किया जा रहा है। बात चाहे सल्ट के विधायक महेश जीना की हो जो अपने मित्र को नगर निगम से टेंडर न मिलने पर अधिकारियों को धमकाते हैं जिनके खिलाफ अब मुकदमा दर्ज हो गया है या फिर पूर्व मंत्री डा. हरक सिंह की जिनकी पाखरो सफारी घोटाले में सीबीआई और ईडी जांच चल रही है और कल सुप्रीम कोर्ट ने उनके इस कृत्य को हैरतअंगेज बताते हुए 3 महीने में स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा है। अथवा उस इलेक्टोरल बांड की जिसे मोदी सरकार लेकर आई थी और अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा जिसे असवैधानिक बताकर रद्द किया जा चुका है। यह सभी घटनाएं देश के नेताओं के चाल और चरित्र को बताने के लिए काफी है। भाजपा जिसके द्वारा सर्वाधिक प्रचार किया जाता है कि वह एक अनुशासित पार्टी है। उसके नेताओं का अनुशासन कैसा है? यह एक सोचनीय सवाल है। भाजपा के विधायक जीना ने नगर निगम के अधिकारियों के साथ कैसा अनुशासित व्यवहार किया इसकी गवाही उनका वह वीडियो दे रहा है जो वायरल हो रहा है। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भटृ कहते हैं कि किसी भी जनप्रतिनिधि को अधिकारियों से सवाल पूछने का अधिकार है लेकिन मर्यादाओं के दायरे में रहना भी जरूरी है। सीएम धामी व भटृ की जांच जब होगी तब होगी फिलहाल उनके खिलाफ कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हो गया है। तमाम कर्मचारी संगठन इस घटना को लेकर विरोध में उतर आए हैं। राजधानी के सफाई कर्मचारी हड़ताल पर चले गए और शहर में कूड़े के ढेर लग गए। भ्रष्ट और बेलगाम राजनीति को दुरुस्त करने के प्रयास में जुटी न्यायपालिका द्वारा हर रोज किसी न किसी मामले को लेकर ऐसे फैसले सुनाये जा रहे हैं जो अखबारों की पहली खबर बन रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी नेताओं की लूट, भ्रष्टाचार और दबंगई थमने का नाम नहीं ले रही है। जनप्रतिनिधियों के कृत्योंं और उसके व्यवहार तथा आचरण को लेकर न्यायालय द्वारा तमाम तरह की नसीहतें उन्हें आए दिन दी जाती रहती हैं लेकिन माननीय है कि वह सुधरने को तैयार ही नहीं है जैसे उन्हें जनप्रतिनिधि होना ही उन्हें भ्रष्टाचार और अनैतिक काम करने का कोई लाइसेंस मिल जाना हो। बस नेता बन जाओ और फिर जो चाहे करो आपका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। जिस देश के नेताओं का आचरण इस तरह का हो उस देश के समाज की क्या दुर्दशा हो सकती है? शायद इस देश के आम आदमी से ज्यादा इसे भला कौन जान समझ सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here