हरि अनन्त, हरि कथा अनन्ता

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अयोध्या श्री राम की जन्मभूमि, जहां आज भव्य दिव्य राम मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर 500 साल तक चले संघर्ष का आज यह अंतिम ऐतिहासिक दिन है। इसे लेकर शेष भावी भविष्य में किसी तरह के संघर्ष की कोई संभावना नहीं बची है क्योंकि अयोध्या में जिस राम मंदिर की स्थापना हुई है वह देश के सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों के सर्वसम्मत निष्कर्ष का ही नतीजा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देख रेख और प्रयासों से संभव हुए इस कार्य को संपूर्ण होने में भले ही अभी कुछ सालों का और समय लगे लेकिन अयोध्या में राम मंदिर और अयोध्या एक महान तीर्थ धर्म के रूप में स्थापित हो चुका है। इस प्राण प्रतिष्ठा में भाग लेने वाले 600 से अधिक विदेशी और लगभग 2000 से अधिक देश के विभिन्न क्षेत्रों के विशिष्ट जन इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के साक्षी बन चुके हैं। अयोध्या में बनने वाला यह राम मंदिर संयोग से ईसाइयों की धर्म नगरी वेटिकन के क्षेत्रफल के बराबर है। अयोध्या के जिस एयरपोर्ट का अभी चंद दिन पहले पीएम मोदी ने उद्घाटन किया था आज 108 उड़ानाें के साथ अपने अस्तित्व को इतिहास के पन्नों में दर्ज करा चुका है। यह सब कुछ बेवजह नहीं हो रहा है। इस अद्भुत कार्यक्रम में अनेक तथ्य ऐसे हैं जो भगवान प्रभु राम की इच्छा से संभव हो रहे हैं। राम के बारे में कहां तो यही जाता है कि उनकी महिमा और वह अनंत है तथा उनकी मर्जी के बिना तो कुछ भी नहीं हो सकता। इस आयोजन को भले ही हिंदुओं और सनातन धर्म का कहा जा रहा हो लेकिन देश की बात तो छोड़िए विदेश तक में जिस तरह की राम लहर दिखाई दे रही है वह हैरान करने वाली है। देश में सभी धर्म और संप्रदायों के लोग इस आयोजन को लेकर भारी उत्साहित है। बाबरी मस्जिद के लिए ताउम्र कानूनी लड़ाई लड़ने वाले इकबाल अंसारी हो या फिर जेल में बंद वह कैदी जिया उल हक जिसने अपनी दो माह की मेहनत से अर्जित मजदूरी के पैसे राम मंदिर को दान देने की तत्परता दिखाई है। निश्चित ही यह बात यह बताने के लिए काफी है कि राम सबके हैं और सब राम के हैं। आज देश में संपन्न इस आयोजन की पृष्ठभूमि में सर्वधर्म समभाव की जो अनुगूंज सुनाई दी है उसे कितने लोगों ने महसूस किया या नहीं किया यह अलग बात है किंतु एक हवा का झोंका आया जरूर है जो जाति धर्म और सांप्रदायिकता की सीमाओं को तोड़ता दिख रहा है। भारत को विश्व का आध्यात्मिक गुरु बनाने की अवधारणा अब सिर्फ सोच नहीं रह गई है भारत की इस आध्यात्मिक शक्ति और विश्व शांति की ताकत का एहसास भी विश्व के तमाम देशों द्वारा किया जा रहा है विदेश से हजारों लाखों लोग अब आध्यात्मिक शांति की तलाश में भारत का रुख कर रहे हैं। राम मंदिर निर्माण के फैसले के समय अयोध्या में बाबरी मस्जिद निर्माण के लिए जमीन आवंटित की गई थी जिस पर जल्द भव्य दिव्य मस्जिद बनाने की तैयारी की जा रही है यह एक शुभ संकेत है काश अयोध्या में ऐसे ही भव्य और दिव्य गुरुद्वारा और चर्च की स्थापना के बारे में धर्मगुरु सोचें, और सरकार इनके निर्माण में सहयोग करें। अगर यह हो पाया तो वास्तव में अयोध्या अपनी पुरानी अयोध्या के युग में जीवंत हो सकेगी जब राम की इस धरा से देश की सर्व धर्म समभाव की संस्कृति और सभ्यता का संदेश पूरे विश्व में जा सकेगा। अब यह सब भी प्रभु की इच्छा पर ही निर्भर करेगा अगर उनकी ऐसी इच्छा है तो यह एक दिन अवश्य पूरी होगी।

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