कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर 2024 के लोकसभा चुनाव से पूर्व अपनी भारत जोड़ो यात्रा पर निकल पड़े हैं। उन्होंने अपनी 2022 की भारत जोड़ो यात्रा का समापन जम्मू कश्मीर के लाल चौक पर किया था। उस समय उन्होंने यह घोषणा कर दी थी कि वह जल्द ही ऐसी ही एक और यात्रा करेंगे। दरअसल बड़े नेताओं के बारे में कहा जाता है कि वह एयर कंडीशनर कमरों में बैठकर आम आदमी के हितों की राजनीति करते हैं। राहुल गांधी की पहले की यह यात्रा जिसमें 20 सप्ताह का समय लगा था एक तरह से उनकी पदयात्रा ही थी, 7 सितंबर 2022 को शुरू की गई इस यात्रा में राहुल गांधी ने 4000 किलोमीटर के सफर में लाखों लोगों से सीधे बात व संवाद किया था उनकी समस्याओं और हालात की जमीनी हकीकत को समझने का प्रयास किया था। निश्चित तौर पर इस यात्रा से उन्हें देश, समाज और लोगों को समझने का मौका मिला था जो किसी भी नेता के लिए बहुत जरूरी होता है। यह यात्रा ऐसे समय में की गई थी जब देश में कड़ाके की सर्दी का दौर रहता है अपनी दूसरी यात्रा जो उन्होंने कल मणिपुर से शुरू की गई है उसके लिए भी उन्होंने सर्दी के मौसम को ही चुना है। जब पूरे देश में शीत लहर का दौर जारी है लेकिन राहुल गांधी इसकी परवाह किए बिना एक बार फिर लंबे सफर पर निकल पड़े हैं यह यात्रा 20 मार्च को मुंबई में समाप्त होगी अपने 6000 किलोमीटर से अधिक लंबे सफर में राहुल गांधी 15 राज्यों के 110 जिलों से होकर गुजरेंगे। उनकी इस सामाजिक न्याय यात्रा को लेकर भाजपा सहित तमाम दलों के नेताओं द्वारा भले ही कुछ भी माना जाए या कुछ भी कहा जा रहा हो लेकिन राहुल गांधी की इस यात्रा के उद्देश्य उनकी नजर में एक दम साफ है उनका मानना है कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा देश में सामाजिक नफरत और विद्वेष की भावना को बढ़ावा देकर सामाजिक विघटन की स्थिति पैदा कर रही है। अमीर और अमीर तथा गरीब और अधिक गरीब हो रहे हैं। महंगाई और बेरोजगारी तथा भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। उन्होंने अपनी यात्रा को जो नाम दिया है उससे ही साफ हो जाता है कि वह लोगों को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए इस यात्रा पर निकले हैं। भाजपा का मानना है कि राहुल गांधी जिन मुद्दों को लेकर यात्रा कर रहे हैं जनता उन्हें पहले ही खारिज कर चुकी है। अब देश में महंगाई भ्रष्टाचार या बेरोजगारी या सांप्रदायिकता कोई मुद्दा है ही नहीं। भाजपा नेता कहते हैं अगर यह मुद्दे होते तो देश की जनता कांग्रेस का बायकाट नहीं करती। लेकिन यह भाजपा नेताओं की सोच हो सकती है कांग्रेस और राहुल गांधी की सोच नहीं है। कांग्रेस नेताओं की सोच यही है कि देश की जनता एक न एक दिन उनकी सोच को सही मांनेगी क्योंकि झूठ की राजनीति अधिक दिन तक नहीं चल सकती है। लोकतंत्र में इस बात का कोई महत्व नहीं होता है कि सच क्या है और झूठ क्या है अगर महत्वपूर्ण होता है तो केवल यही की जनता का समर्थन किसके साथ है। बात चाहे राम महोत्सव की हो या फिर राहुल गांधी की सामाजिक न्याय यात्रा की, सभी उद्देश्य तो केवल 2024 में होने वाला लोकसभा चुनाव ही हैं। भले ही लोग राहुल गांधी की इस साहसिक यात्रा की कितनी सराहना क्यों न कर रहे हो लेकिन उन्हें मिलने वाला समर्थन ही इस यात्रा की सफलता—असफलता तय करेगी।