भ्रष्टाचार वास्तव में एक ऐसी राष्ट्रीय समस्या है जो हमारे राष्ट्रीय विकास को ही बाधित नहीं करती है बल्कि भ्रष्टाचार के कारण समाज में आर्थिक असंतुलन को बढ़ावा मिलता है और आम आदमी भ्रष्टाचारियों के उत्पीड़न को सहने पर मजबूर होता है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस समस्या को एक बड़ी चुनौती मानते हैं। खास बात यह है कि आर्थिक घपले—घोटाले चाहे किसी भी स्तर के हो इन आर्थिक अपराधियों का कानून भी बाल—बांका नहीं कर पाता है। नीरव मोदी और माल्या जैसे लोग हो या फिर छोटी—मोटी हेराफेरी करने वाले नेता और अधिकारी, भ्रष्टाचार का दायरा इतना असीमित है कि भ्रष्टाचार के इस मकड़जाल को तोड़ना इतना ही मुश्किल है जितना भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करना आसान है। उत्तराखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अभी वन विभाग के दो आईएफएस अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप है। खबर यह भी है कि मुख्यमंत्री ने वह सभी फाइलें अपनी टेबल पर मंगा ली है, जिन भ्रष्टाचार के मामलों की जांच चल रही हैं। हो सकता है कि सीएम यह सब इसलिए कर रहे हो कि वह अधिकारियों और कर्मचारियों को यह संदेश देना चाहते हो कि भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे। लेकिन उनके इस काम से भ्रष्टाचार मिट सकेगा ऐसा संभव नहीं है। उनसे पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत भी भ्रष्टाचार पर जीरो—टॉलरेंस व एक सशक्त लोकायुक्त लाने का इरादा जता कर जा चुके हैं। जिन्हें अपनी नाकामी पर यह कहना पड़ा था कि सूबे में जब भ्रष्टाचार ही नहीं रहा तो लोकायुक्त की क्या जरूरत है। उत्तराखंड में हुए घपले घोटालों की स्थिति यह है कि उनकी चर्चा कुछ समय तो होती है बाद में उनकी फाइलें कहीं धूल फांकती रहती हैं और लोग भी भूल जाते हैं। एक समय था जब चुनाव के दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों ही एक दूसरे की सरकार के कार्यकाल के घपले घोटालों की लिस्टें जेब में रख कर घूमते थे। और चुनाव के दौरान जनता को यह समझाने का प्रयास करते थे कि मेरी कमीज ज्यादा सफेद है। ऐसे सैकड़ों घपले—घोटाले हैं जो सूबे के नेताओं के नाम दर्ज हैं कुंभ घोटाला हो या स्टूटर्जियंा अथवा सिडकुल हो या यूजीबीएन अथवा एन एच 94 हो या फिर कोरोना टेस्टिंग व ढैंचा बीज घोटाला अब इनका कोई जिक्र भी कहीं नहीं होता है। किसी घोटाले में किसी नेता या अधिकारी को सजा तो दूर की बात है। आज उत्तराखंड को एक मॉडल राज्य बनाने की बात हो रही है सीएम धामी अगर वास्तव में ऐसा चाहते हैं तो वह सिर्फ सूबे से भ्रष्टाचार मिटाने के लिए ईमानदाराना प्रयास करें अगर भ्रष्टाचार मिट जाएगा तो राज्य अपने आप आदर्श राज्य बन जाएगा।