मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि सुगम और सुरक्षित यात्रा जनता का अधिकार है, सवाल यह है कि राज्य की सड़कें यात्रा के लिए कितनी सुरक्षित है और इन सड़कों पर सफर कितना आसान है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अगर वास्तव में राज्य की सड़कों की स्थिति को जानना चाहते हैं तो उन्हें चारों धाम की यात्रा एक बार सड़क मार्ग से जरूर करनी चाहिए। अगर वह हेलीकॉप्टर में उड़ते हुए सड़कों को देखेंगे तो उन्हें सब कुछ चकाचक ही नजर आएगा। अगर वह ऐसा भी नहीं कर सकते और उनके पास समय का अभाव है तो वह चारधाम यात्रियों से सड़कों के हालात पर फीडबैक भी ले सकते हैं। सरकार इस बात को लेकर अपनी पीठ थपथपा रही है कि इस बार चार धाम यात्रा पर रिकॉर्ड श्रद्धालु आए हैं लेकिन राज्य की खस्ताहाल सड़कों के कारण कितने लोगों की जानें गई और उन्हें कितनी परेशानियां उठानी पड़ी यह सिर्फ वह यात्री ही समझ सकते हैं जो यात्रा पर गए। मानसूनी सीजन के बाद सड़कों की जो दुर्दशा पूरे राज्य में है शायद वैसी पहले कभी नहीं देखी गई इन सड़कों पर यात्रा जान हथेली पर रखकर लोग कर रहे हैं। कई बड़े हादसों में सैकड़ों लोगों की जानें गई हैं तो हर रोज हादसे आम हैं। यह सच है कि बरसात के सीजन में सड़कों के निर्माण का काम नहीं किया जा सकता है लेकिन इनकी मरम्मत का काम भी अगर नहीं किया जा सकता तो लापरवाही ही कहा जा सकता है। उदाहरण के तौर पर राजधानी की सड़कों को ही ले तो इन्हें लेकर एक जिलाधिकारी के बदले जाने के बाद भी हालात में कोई सुधार नहीं हो सका जिस तरह से सड़कों को गड्ढा मुक्त बनाया जा रहा है उसे देखकर यही लगता है इन सड़कों को और भी अधिक खराब किया जा रहा है। पैच वर्क के नाम पर या तो इन गड्ढों में ईंटें भरी जा रही है और अगर रोड़ी तारकोल का इस्तेमाल भी किया जा रहा है तो वह इतने ऊंचे नीचे किया जा रहा है अब इन सड़कों पर वाहन चलाना और खतरनाक हो गया है। वाहनों का डिसबैलेंस होकर इधर—उधर भागना दुर्घटनाओं का कारण बन रहा है। राजधानी की सड़कों की हालत शायद इससे पहले कभी इतनी खराब नहीं रही है जितनी आज देखी जा रही है। दरअसल इन तमाम सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के लिए पेच वर्क की जरूरत नहीं है अपितु इनके पुनर्निर्माण की जरूरत है। सरकार इनका ठीकरा स्मार्ट सिटी के कामों पर फोड़ कर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती है। सड़कों के काम का जिम्मा पीडब्ल्यूडी विभाग को सौंपे जाने के बाद बस उल्टे सीधे तरीके से गड्ढों की भराई का काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने एक सप्ताह में सड़कों की स्थिति पर भले ही अधिकारियों से जानकारी मांगी हो लेकिन इससे कुछ भला नहीं हो सकता। इन सड़कों के पुनर्निर्माण का काम युद्ध स्तर पर किए जाने की जरूरत है।