बे—मौसम बरसात

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मानसून की विदाई के चंद दिन बाद ही उत्तराखंड के मौसम ने अचानक जिस तरह से पलटी मारी है उसकी कोई संभावना दूर—दूर तक नहीं दिख रही थी। पश्चिमी विक्षोभ और दक्षिण पूर्वी हवाओं की सक्रियता के कारण मौसम मे जो खतरनाक बदलाव आया है उसे लेकर सतर्कता और सावधानी बरतना आवश्यक है। क्योंकि प्राकृतिक आपदाओं पर न तो किसी का कोई जोर चलता है और न इन्हें रोक पाना संभव होता है इसलिए सिर्फ सतर्कता में ही बचाओ की संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं क्योंकि मौसम विभाग द्वारा इस बाबत समय से पूर्व ही चेतावनी दे दी गई है। इसलिए आपदा प्रबंधन की तैयारियां की जा सकती है। भारी बारिश और तूफानी हवाओं के बीच भूस्खलन की संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। आज और कल दो दिन इस मौसम के बदलाव के कारण जानमाल की सुरक्षा के दृष्टिकोण से भारी पड़ सकते हैं। इसलिए यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह इससे बचाव के खुद इंतजाम करें। पहाड़ों पर यात्रा इस दौरान अत्यंत ही जोखिम पूर्ण हो सकती है। इसलिए हर संभव यात्रा से बचें। सरकार ने अपने स्तर पर चार धाम यात्रा को दो दिन के लिए स्थगित करने तथा यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर ही रुके रहने के निर्देश दिए गए हैं। स्कूलों को दो दिन के लिए बंद रखा गया है तथा रिवर राफ्टिंग व पैराग्लाइडिंग तथा पर्वतारोहण जैसी गतिविधियों को भी रोक दिया गया है। एसडीआरएफ व एनडीआरएफ को भी अलर्ट मोड़ पर रखा गया है राज्य का आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम भी एक्टिव मोड में है। हर तरह के एहतियात बरते जा रहे हैं भले ही इस एहतियात के बीच कोई बड़ी घटना दुर्घटना पेश न आए लेकिन राज्य का शासन प्रशासन किसी भी स्थिति से निपटने के लिए चौकन्ना है। पहाड़ की मुश्किलें भी पहाड़ की तरह कठिन होती हैं। केदारनाथ आपदा और बीते समय में हुई भूकंप की त्रासदियों के दौरान हम यह देख चुके हैं कि जब आपदा का स्तर और छेत्र बड़ा होता है तो आपदा प्रबंधन हमेशा ही छोटा साबित होता है इसी मानसून काल में हम अनेक बादल फटने की घटनाओं की भीषण त्रासदी झेल चुके हैं जोशीमठ के पहाड़ों में बादल फटने से पहाड़ से आए भारी मलबा व पत्थरों ने एक बिजली परियोजना की चैनलों में घुसकर दर्जनों लोगों की जान छीन ली थी। महीने भर तक चले बचाव व राहत कार्य के बाद भी कई लोगों का अता—पता नहीं चल सका। ऐसा नहीं है कि इस बेमौसम बरसात के कारण सिर्फ उत्तराखंड ही प्रभावित है या हो सकता है दक्षिण भारत में भी इससे भारी जानमाल का नुकसान हो चुका है अकेले केरल में 26 लोगों की मौत हो चुकी है और अरबों—खरबों की संपत्ति का नुकसान हुआ है। देश के 23 राज्य इससे प्रभावित हैं। यह दो दिन बाद ही पता चल सकेगा कि इस बेमौसम बरसात से कहां कितना नुकसान पहुंचा है। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह समय सतर्कता का समय है क्योंकि सतर्कता व सावधानी ही एकमात्र बचाव का रास्ता है।

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