रामचरितमानस की प्रतियां जलाने पर दो लोगों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई

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लखनऊ । उत्तर प्रदेश में रामचरितमानस की प्रतियां जलाने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। पहले स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयान ने इस मामले को तूल दिया, उसके बाद विरोध के नाम पर प्रतियां जलाने ने भी समाज के बड़े तबके की भावनाओं को आहत किया। अब उस विवाद को लेकर ही यूपी पुलिस ने बड़ा एक्शन लिया है। दो आरोपियों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की गई है।
मिली जानकारी के मुताबिक 29 जनवरी को भाजपा कार्यकर्ता सतनाम सिंह लवी ने श्री रामचरितमानस की प्रतियां जलाने वालों के खिलाफ तहरीर दी थी और जिसके बाद पुलिस ने सलीम हसन और सत्येंद्र कुशवाहा समेत कुल 5 लोगों को गिरफ्तार किया था। फिर गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ जांच पड़ताल की कार्रवाई शुरू की गई, जिसके बाद सलीम और सत्येंद्र कुशवाहा के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई करते हुए रासुका लगाया गया। वहीं अन्य आरोपियों की भी भूमिका जांच की जा रही है। बताया जा रहा है कि जिन लोगों ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाईं, वो सभी ओबीसी महासभा से जुड़े हुए थे। ये सभी एक तरफ स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ रामचरितमानस का विरोध। वैसे ये पूरा विवाद स्वामी प्रसाद मौर्य के एक बयान के बाद ही शुरू हुआ था। असल में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे कहा था- सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरितमानस से आपत्तिजनक अंशों को बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए। तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिन पर हमें आपत्ति है। क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है। तुलसीदास की रामायण की एक चौपाई है, जिसमें इसमें वह शूद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं।

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