आम आदमी पार्टी जिस धमक के साथ 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में उतरी है और उसके शीर्ष नेताओं ने जिस तरह से अपनी सक्रियता बढ़ाई है उसे लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों राजनीतिक दलों के नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें उभरने लगी है। भले ही भाजपा और कांग्रेस के नेता आप की इस दस्तक की तुलना प्रवासी पक्षियों से कर रहे हो और आम आदमी पार्टी का कोई जनाधार और सांगठनिक ढांचा प्रदेश में न होने की बात करते हुए यह दिखा रहे हो कि उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है लेकिन यह सच नहीं है। दोनों दलों के नेता इस बात को बखूबी जानते हैं कि आम आदमी पार्टी अगर सभी 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारती है तो उसके प्रत्याशियों को मिलने वाले वोट या तो भाजपा के खाते से जाएंगे या फिर कांग्रेस के खाते से। गणित किसका गड़बड़ आएगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन एक दर्जन से अधिक उन सीटों पर जिन पर हार जीत का फैसला बहुत कम वोटों के अंतर से होता रहा है उन सीटों के चुनाव परिणामों को आम आदमी पार्टी का प्रत्याशी उलट—पुलट कर सकता है। यही नहीं कांग्रेस और भाजपा के नेता यह भी बखूबी समझ रहे हैं कि अगर आम आदमी पार्टी सभी सीटोें पर अपने प्रत्याशी उतार रही है तो ऐसा नहीं हो सकता है कि वह उसका खाता भी नहीं खुलने देंगे। अभी आम आदमी पार्टी ने सिर्फ कर्नल कोठियाल को सीएम पद का चेहरा घोषित करते हुए उनकी सीट मुकर्रर की है और उन्हें गंगोत्री सीट से ही चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया है लेकिन सिर्फ एक सीट पर प्रत्याशी के नाम की घोषणा ने ही भाजपा और कांग्रेस की पेशानी पर बल डाल दिए हैं। दोनों को ही लग रहा है कि अब इस सीट पर किसी को भी आसान जीत नहीं मिल सकती है और यह भी हो सकता है कि कर्नल कोठियाल अब इस सीट पर किसी को भी न जीतने दें। आम आदमी पार्टी द्वारा अब तक प्रदेश में जो भी कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं उनमें जिस तरह से लोगों की भीड़ देखी जा रही है उसे लेकर भी भाजपा और कांग्रेस नेताओं की नींद उड़ी हुई है। आम आदमी पार्टी ने अब तक तीन बड़ी घोषणाएं इस चुनाव के मद्देनजर की है उनमें मुफ्त बिजली, रोजगार गारंटी और बुजुर्गों को मुफ्त तीर्थाटन शामिल है। केजरीवाल उत्तराखंड में अपने दिल्ली मॉडल को ही धरातल पर उतारने का भरोसा लोगो को दिला रहे हैं। उनका साफ कहना है कि सिर्फ एक मौका दे कर देखो वह ऐसा कुछ करेंगे जैसा अब तक कि किसी भी सरकार ने नहीं किया होगा। आप के नेता भले ही उत्तराखंड की राजनीति में उतर कर प्रदेशवासियों को तीसरा विकल्प उपलब्ध कराने की बात कर रहे हैं लेकिन अब की बार 60 के पार के नारे के साथ मैदान में उतरने वाली भाजपा और भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने का दावा करने वाली कांग्रेस को छोड़कर लोग आप को सत्ता की चाबी सौंप सकते हैं? इसकी संभावनाएं कोसों—कोस दिखाई नहीं दे रही है लेकिन आपके लिए दस—पांच सीटें जीत लेना मुश्किल होगा ऐसा भी नहीं कहा जा सकता है इस प्रयास में वह भाजपा व कांग्रेस का खेल तो बिगड़ ही सकती है।