हड़ताल या हथियार

0
319

हड़ताल या हथियार

बीते कल बिजली विभाग के कर्मचारियों द्वारा शुरू की गई अनिश्चितकालीन हड़ताल रात होते—होते समाप्त हो गई। 20 घंटे चली इस हड़ताल से एक अनुमान के अनुसार 300 करोड़ से अधिक के राजस्व की हानि हुई है। गनीमत रही कि हड़ताल लंबी नहीं चली अगर यह हड़ताल हफ्ते दस दिन भी चली होती तो पूरे राज्य में हा—हाकार की स्थिति पैदा हो जाती। बिजली अति आवश्यक सेवाओं में आती है। बिजली आपूर्ति ठप होने का मतलब होता है कि जनजीवन ठप। अस्पतालों में जरूरी इलाज से लेकर पेयजल आपूर्ति व उघोग धंधे सब कुछ बंद हो जाते हैं। आम आदमी के जनजीवन पर इसका अत्यंत ही गहरा दुष्प्रभाव देखने को मिलता है। दरअसल सभी सरकारी संस्थानों और विभागों द्वारा अपनी मांगों को मनवाने के लिए हड़ताल को एक ऐसा हथियार बना लिया गया है कि वह किसी भी हद तक जाकर अपनी बात सरकार से मनवाने के लिए उसे मजबूर कर देते हैं। खास कर चुनाव से छह माह पूर्व जैसे हड़तालों की बाढ़ सी आ जाती है। कर्मचारियों की सोच होती है कि सरकार इस समय किसी को नाराज नहीं कर सकती क्योंकि इसका सीधा प्रभाव चुनाव पर पड़ेगा। यही कारण है कि तमाम सरकारी विभागों के कर्मचारी झंडे— डंडे लेकर हड़ताल पर उतर आते हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार इन्हें रोक नहीं सकती है या उसके पास कोई पावर नहीं है सरकार इन कर्मचारियों को नो वर्क नो पे के साथ—साथ इन पर एस्मा भी लगा सकती है। लेकिन आमतौर पर सरकारों का कर्मचारियों के प्रति लचीला रवैया ही रहता है जिसके कारण यह कर्मचारी व कर्मचारी संगठन और अधिक बेपरवाह हो जाते हैं। कई बार सरकार कुछ कठोर कदम उठाती है बाद में फिर उन्हें वापस ले लेती है। इससे कर्मचारियों में संदेश जाता है कि सरकार उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। सही मायने में किसी भी राज्य में चुनाव से 1 साल पहले हड़तालों पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए। बीते कल ऊर्जा सचिव द्वारा इस आशय को लेकर जो आदेश जारी किया गया कि बिजली कर्मचारी 6 माह तक हड़ताल नहीं कर सकेंगे, अच्छा कदम है। इन सरकारी कर्मचारियों का नौकरी के साथ यह भी दायित्व है कि वह आम नागरिकों को होने वाली परेशानियों का भी ख्याल रखें। सरकार को चाहिए कि वह कर्मचारियों के हितों को नजरअंदाज न करें जिससे उन्हें हड़ताल पर मजबूर होना पड़े। कर्मचारियों की किसी भी समस्या का समाधान वार्ता से होना चाहिए हड़ताल से नही, बेहतर तो यही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here