मुफ्त का चंदन घिस मेरे नंदन

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फ्री बिजली देने की घोषणाओं पर छिड़ा सियासी संग्राम
देहरादून। बीते कुछ सालों से देश की राजनीति में मुफ्त बिजली—पानी मुफ्त राशन आदि आदि अनेक तरह की घोषणाओं का चलन बढ़ गया है। वर्तमान दौर में उत्तराखंड की सियासत में भी मुफ्त बिजली की घोषणाओं को लेकर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है।
आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी कि ट्टमुफ्त का चंदन घिस मेरे नंदन, दरअसल आम जनता को मुफ्त में राजनीतिक दलों द्वारा जो कुछ भी दिया जा रहा है वह मुफ्त का नहीं है। वह जनता की खून पसीने की कमाई का है जो जनता से लेकर जनता को ही दिया जा रहा है। सरकार के घर कौन सी खेती होती है जो मुफ्त में दाल—चावल—गेहूं वह आपको देगी या पानी देगी हां यह सब सत्ता में बैठे लोगों के लिए मुफ्त का जरूर है। यानी यह मुफ्त का चंदन सिर्फ सियासत दानों के लिए है जिसे वह घिसे जा रहे हैं।
ऊर्जा मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने 100 यूनिट मुफ्त बिजली देने की घोषणा की तो कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 200 यूनिट बिजली फ्री देने का ऐलान कर दिया। आप जो पहली बार राज्य विधान सभा चुनाव में ताल ठोक रही है उसने 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा कर दी है। राज्य में बारी—बारी से सत्ता पर काबिज होने वाली भाजपा और कांग्रेस के लिए अब यह मुद्दा गले की फांस बन गया है। दिल्ली में आप ने जिस प्रQी के बिजली—पानी के मुद्दे पर सभी दलों को चुनाव में पटखनी दे दी थी उसने उत्तराखंड की राजनीति मेंं मुफ्त का एक पत्थर फेंककर हलचल पैदा कर दी है।
भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि उत्तराखंड की जनता की मुफ्तखोरी की टेडेंसी कभी नहीं रही है। सूबे के लोगों को मुफ्त में कुछ नहीं चाहिए। उन्होंने कभी ऐसी कोई मांग नहीं की है। उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी धोखेबाज है जो मुफ्त का प्रलोभन देकर जीतने के सपने देख रही है। वहीं कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बारे में उनका कहना है कि अब उनके पास आरोप लगाने के अलावा कुछ नहीं बचा है।
खास बात यह है कि मुफ्त बिजली की घोषणाएं करने वाली पार्टियों और नेताओं के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है कि इसके लिए पैसा कहां से आएगा? डॉ हरक सिंह तो बिजली चोरी व लाइन लास को रोककर इसकी भरपाई की बात कर रहे हैं। काश बिना मुफ्त बिजली की घोषणा करने से पहले उन्होंने यह किया होता। तो राज्य मालामाल हो गया होता। देखना यह है कि चुनावी बेला में यह दल और नेता जनता को और क्या—क्या मुफ्त देने की घोषणाएं करते हैं।

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