चुनाव आए तो गरीब याद आए, मलिन बस्तियों का नियमितीकरण कब कराओगे सरकार
देहरादून। भले ही सत्ता में बैठे नेताओं को 4 साल तक मलिन बस्तियों और झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोगों की याद आए न आए। लेकिन चुनावी साल में नेता इन गरीब व मजदूर तथा मजबूर लोगों तक पहुंचने का कोई न कोई आसान रास्ता ढूंढ़ लेते हैं। चुनाव आते ही सभी नेताओं को इनके हितों की याद आने लगती है।
आपदा में अवसर तलाशना भले ही कोई नई बात न सही लेकिन इन दिनों भाजपा द्वारा इसका बखूबी प्रयोग किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अभी लांच की गई गरीब खाघान्न योजना जिसमें गरीबों को 5 किलो राशन मुफ्त दिया जा रहा है गरीबों तक पहुंचने का आसान जरिया साबित हो रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा आज दून के रायपुर क्षेत्र से इसकी शुरुआत की गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज राजधानी के रायपुर क्षेत्र की मलिन बस्तियों में गरीबों को मुफ्त राशन का वितरण किया इस दौरान उनके साथ एक वैक्सीनेशन वैन भी थी। इस मोबाइल वैक्सीनेशन वैन के जरिए जिन लोगों को राशन वितरित किया गया उनको कोरोना वैक्सीन का टीका भी लगाया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि मलिन बस्तियों और झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले 50 लाख लोगों को मुफ्त राशन वितरित किया जाएगा तथा उन्हें कोरोना का टीका भी लगाया जाएगा। निसंदेह गरीब मजदूरों व कमजोर लोगों के लिए मुख्यमंत्री धामी ने जो सोचा है वह बहुत अच्छा है। लेकिन इससे भी अच्छा होता कि सत्ता में बैठे लोगों द्वारा इन मलिन बस्तियों में रहने वालों के लिए उनके निवास की समस्या का स्थाई समाधान खोजा गया होता। मलिन बस्तियों के अस्तित्व पर जो तलवार लटकी रहती है उसे हमेशा के लिए हटाने का प्रयास किया गया होता।
मलिन बस्तियों के नियमितीकरण का मुद्दा कितने सालों से लंबित है लेकिन इसका कोई स्थाई समाधान नहीं हो सकता है। हाईकोर्ट द्वारा जब भी इन बस्तियों को हटाने की बात की जाती है तो त्रिवेंद्र सरकार की तरह इन्हें बचाने के लिए तो नेता आगे आ जाते हैं लेकिन इससे आगे नहीं बढ़ पाते। हां चुनाव के समय हर बार इनके नियमितीकरण के वायदे करने वाले और उनकी भूख प्यास व स्वास्थ्य एवं सुरक्षा करने वालों की कोई कमी नहीं रहती क्योंकि इन मलिन बस्तियों का वोट ही किसी भी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता है।