उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में मौजूद भारतीय पंचांग यानी समय गणना प्रणाली पर आधारित विक्रमादित्य वैदिक घड़ी साइबर अटैक हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कुछ दिनों पहले ही इस घड़ी का उद्घाटन किया था। साइबर अटैक से विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के सर्वर की प्रोसेस धीमी हो रही है और आम लोग इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। इंटरनेट और जीपीएस से जुड़ी होने के कारण दुनिया में कहीं भी इस वैदिक घड़ी का इस्तेमाल किया जा सकता है। साइबर अटैक के बाद विक्रमादित्य शोधपीठ संस्थान के डायरेक्टर श्रीराम तिवारी ने बताया कि साइबर सेल में इस साइबर अटैक की शिकायत दर्ज करवा दी गई है। मामले की जांच की जा रही है। विक्रामदित्य शोधपीठ संस्थान के मुताबिक यह दुनिया की पहली ऐसी घड़ी है। समय गणना की भारतीय प्रणाली दुनिया की सबसे पुरानी, सूक्ष्म, शुद्ध, त्रुटि रहित, प्रामाणिक और विश्वसनीय प्रणाली है। इस सबसे विश्वसनीय प्रणाली को विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के रूप में उज्जैन में फिर से स्थापित किया गया है। दुनिया भर में, उज्जैन से निर्धारित और प्रसारित समय का पालन किया जाता है। भारतीय खगोलीय सिद्धांत और ग्रह नक्षत्रों की गति के आधार पर भारतीय समय गणना में समय का सबसे छोटा अंश शामिल किया जाता है। यह घड़ी अन्य बातों के अलावा संवत, मास, ग्रहों की स्थिति, चंद्रमा की स्थिति, पर्व, शुभ शुभ मुहूर्त, घटी, नक्षत्र, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण के बारे में भी जानकारी मुहैया करेगी।वैदिक घड़ी भारतीय समय गणना की परंपरा को बहाल करने की एक कोशिश है।
वैदिक घड़ी में वैदिक समय के साथ भारतीय काल गणना विक्रम संवत् की जानकारी मिलेगी। विक्रम संवत् पंचांग (भारतीय प्राचीन कैलेंडर) शामिल रहेगा। सूर्योदय से सूर्यास्त के साथ ग्रह, योग, भद्रा, चंद्र स्थिति, नक्षत्र, चौघड़िया, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण की जानकारी देगा। अभिजीत मुहूर्त, ब्रह्म मुहूर्त, अमृत काल और मौसम से जुड़ी सभी जानकारी मिल सकेगी। घड़ी में हर घंटे बाद बैकग्राउंड में नई तस्वीर दिखेगी। द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर, नवग्रह, राशि चक्र के साथ दूसरे धार्मिक स्थल भी दिखाई देंगे। देश-दुनिया के खूबसूरत सूर्यास्त, सूर्य ग्रहण के नजारे भी दिखेंगे। विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का निर्माण लखनऊ की संस्थान ‘आरोहण’ के आरोह श्रीवास्तव ने बनाई है।