नई दिल्ली। पूरी दुनिया में हर साल 3 मार्च को वन्यजीव दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद दुनिया भर में जानवरों और पौधों के संरक्षण के लिए काम करना है। इस दिन वनस्पतियों और जीवों के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाई जाती है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम सभी पृथ्वी और यहां रहने वाले जानवरों से कैसे जुड़े हुए हैं। पर्यावरण संतुलन बनाए रखने, वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके संरक्षण की दिशा में वैश्विक प्रयासों को बढ़ावा देना है। विश्व वन्यजीव दिवस हमें इस बात की याद दिलाता है कि वन्यजीव सिर्फ प्रकृति का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि हमारे जीवन के लिए भी अनमोल हैं। विश्व वन्यजीव दिवस वन्यजीवों और उनके प्राकृतिक आवासों के संरक्षण के महत्व को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। यह दिन हमें वन्यजीवों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने और उनके अस्तित्व को बचाने की आवश्यकता की याद दिलाता है। यह जागरूकता फैलाने और संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा देने में मदद करता है।
हर साल संयुक्त राष्ट्र की ओर से इस दिन के लिए एक विशेष थीम तय की जाती है। साल 2025 की थीम “वन्यजीव संरक्षण वित्त: लोगों और ग्रह में निवेश” है। यह थीम वन्यजीवों के संरक्षण, जैव विविधता और पर्यावरण से जुड़ी होती है। अगर हम वन्यजीवों की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति लापरवाह रहेंगे, तो इससे पूरी पारिस्थितिकी प्रणाली पर गंभीर असर पड़ेगा। हमें वन्यजीवों की रक्षा करने और उनके प्रति जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी उठानी चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस अद्भुत जैव विविधता का आनंद ले सकें।
विश्व वन्यजीव दिवस की स्थापना संयुक्त राष्ट्र की ओर से साल 2013 में की गई थी। इसके लिए थाईलैंड ने वन्यजीव संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक दिन समर्पित करने का प्रस्ताव रखा था। फिर 20 दिसंबर, 2013 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक तौर पर 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस के रूप में घोषित कर दिया है। विश्व वन्य जीव दिवस पहली बार 2014 में मनाया गया था। अब सवाल ये उठता है कि आखिर 3 मार्च को ही यह तारीख क्यों चुनी गई? साल 1973 में, उसी दिन वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए थे। जिसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव व्यापार से जानवरों और पौधों की प्रजातियों के अस्तित्व को खतरा न हो। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, बढ़ती पर्यावरणीय चुनौतियों की वजह से 10 लाख से ज्यादा वन्यजीव प्रजातियाँ विलुप्त होने के खतरे में हैं।