अब लक्ष्मण झूला का क्या होगा?

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लक्ष्मण झूला के संरक्षण पर किसी का ध्यान नहीं

राम झूला पुल पर ओवरलोड आम बात


देहरादून। गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर हुए हादसे के बाद अब उत्तराखंड में गंगा नदी पर बने लक्ष्मण झूला और राम झूला के अस्तित्व और सुरक्षा को लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। इन सवालों का उठना इसलिए भी लाजमी है क्योंकि यह ऐतिहासिक धरोहर होने के साथ लोगों की जान की सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला है।
टिहरी और पौड़ी को जोड़ने वाले लक्ष्मण झूला के बारे में पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा को पार करने के लिए लक्ष्मण द्वारा यहां जूट की रस्सियों से एक पुल नदी पार करने के लिए बनाया गया था। वही वर्तमान में जो लक्ष्मण झूला पुल जो कि एक केवल ब्रिज के रूप में हम देखते हैं वह 1927 से 1930 के बीच ब्रिटिश शासन काल में बनाया गया था जो अब 150 साल पुराना है। इस पुल की जर्जर स्थिति को देखते हुए 2019 में इस पर गाड़ियों की आवाजाही को रोक दिया गया था। लोग सिर्फ पैदल आने—जाने के लिए ही इस पुल का इस्तेमाल करते थे। लेकिन 2022 में इस पुल का मुख्य तार टूट गया जिसके बाद इस पर आवाजाही पूर्णतया बंद कर दी गई, जो अभी तक बंद है।
यह अलग बात है कि इसके बराबर में 2020 में जानकी सेतु के नाम से नए पुल का निर्माण हो चुका है और लोगों को आवागमन में कोई परेशानी नहीं है। वही लक्ष्मण झूला पुल के बगल में अब पीडब्ल्यूडी द्वारा एक और नए पुल का निर्माण भी किया जा रहा है जिसे बजरंग पुल के नाम से जाना जाएगा और इसका निर्माण कार्य भी जल्द पूरा हो जाएगा लेकिन सवाल यह है कि अब उस ऐतिहासिक लक्ष्मण झूला पुल का क्या होगा जो एक ऐतिहासिक धरोहर है। राज्य गठन के बाद से लेकर अब तक इस पुल की मरम्मत या फिर जीर्णाेद्धार के लिए शासन—प्रशासन द्वारा कोई पहल नहीं की गई है जो हैरान करने वाली बात है।
वही राम झूला पुल जो अभी भी अपने अस्तित्व को बनाए हुए हैं तथा इस पुल पर लोगों का बदस्तूर आवागमन जारी है। लेकिन इस पुल से आने—जाने पर किसी भी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है कई बार इस पुल पर इतनी भीड़ भी कुछ खास मौकों पर देखी जाती है कि पुल पर आदमी से आदमी सटा रहता है और उसे पार करने में आधा—आधा घंटा लग जाता है जबकि इसकी लंबाई 230 मीटर है। अगर यहां ओवरलोडिंग की वजह से कभी भी कोई बड़ा मोरबी जैसा हादसा हो सकता है जिसमें 134 लोगों की जान चली गई। लेकिन इस पर शासन—प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। जबकि इसकी क्षमता से अधिक लोग इससे नहीं गुजरने चाहिए।

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