मुख्यमंत्री के आदेशों का भी असर नहीं
देहरादून। खबर यह नहीं है कि सूबे के किसी विधायक को किसी रास्ता चलते व्यक्ति ने पीट दिया बल्कि खबर यह है कि सूबे के अधिकारियों ने पीड़ित विधायक का फोन तक नहीं उठाया। इस खबर के अंदर की दूसरी खबर यह है कि किसी सत्ताधारी दल के विधायक के साथ मारपीट का दुस्साहस कोई आम आदमी भला कैसे कर सकता है विधायक से मारपीट करने वाला भाजपा का उपाध्यक्ष है।
बीते कल सल्ट के विधायक महेश जीना के साथ एक कार्यक्रम से लौटते समय भाकुंड के पास रास्ता चलते लोगों ने मारपीट कर डाली गई। ओवरटेकिंग जैसी मामूली सी बात को लेकर हुई इस मारपीट के बाद पीड़ित विधायक ने पहले एसडीएम और डीएम को फोन लगाया गया लेकिन उनके फोन नहीं उठे। एसएसपी का फोन तो उठा लिया गया लेकिन उन्होंने इसे राजस्व पुलिस का मामला बताकर पल्ला झाड़ लिया गया। इसके बाद कुमाऊं कमिश्नर को फोन लगाया गया तो उनका भी फोन नहीं उठा।
सूबे के अधिकारियों का यह हाल तब है जब सीएम धामी ने इन दिनों सभी अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हुए हैं कि एक निर्धारित समय में ऑफिस में उपस्थित रहकर लोगों की समस्याएं सुने तथा उनके ऑफिस में आने वाली सभी कॉल रिसीव होनी चाहिए। सवाल यह है कि जब एक सत्ता पक्ष के विधायक का कोई फोन नहीं उठाता है या उसे फोन पर टरका दिया जाता है तो राज्य में फिर किसी आम आदमी की बात कोई अधिकारी क्या सुनेगा?
इसमें कोई दो राय नहीं है कि राज्य में आने वाले कुछ पड़ोसी राज्यों के पर्यटकों द्वारा बेवजह दुर्व्यवहार किया जाता है लेकिन किसी विधायक के साथ दुर्व्यवहार या मारपीट आम आदमी नहीं कर सकता। सत्ता की हनक अगर विधायक को हो सकती है तो भाजपा के उपाध्यक्ष को क्यों नहीं? इस झगड़े के फसाद के मूल में सत्ता की यह हनक नहीं तो और क्या है।