उपचुनावों के नतीजे

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पांच राज्यों में आगामी साल होने वाले चुनावों से ऐन पूर्व 13 राज्यों की 29 विधानसभा सीट और तीन लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजे देश की भावी राजनीति के बारे में बहुत कुछ कहते दिखाई देते हैं। इन नतीजों में भाजपा और कांग्रेस के लिए कई निःतार्थ छिपेे हैं। जिन्हे समझना जरूरी है इन उपचुनावों में कांग्रेस और उसकी सहयोगी शिवसेना की 2 सीटों पर जीत तथा 8 विधानसभा सीटों पर जीत न सिर्फ कांग्रेस को सुखद एहसास दिलाने वाली है वह भाजपा को यह समझाने के लिए काफी है कि उसका कांग्रेस मुक्त भारत और विपक्ष विहीन सरकार का सपना कभी पूर्ण नहीं हो सकता है। उपचुनावों में अमूमन यही देखा जाता है कि सत्तारूढ़ दल ही चुनाव जीतते हैं लेकिन हिमाचल में कांग्रेस ने इस मिथक को तोड़ कर भाजपा को चौंका दिया है। उसने यहां उससे सिर्फ एक लोक सभा सीट ही नहीं छीनी है उसके कब्जे वाली एक विधानसभा सीट छीन कर तीन की तीन सीटों पर जीत दर्ज की है। भले ही मध्यप्रदेश,ं असम व केरल में उसका प्रदर्शन ठीक रहा हो लेकिन राजस्थान में कांग्रेस ने दोनों सीटें जीत कर तथा कर्नाटक में कांग्रेस ने भाजपा से हंगल सीट छीन ली। पश्चिमी बंगाल में ममता बनर्जी ने कांग्रेस की 2 सीटें छीनते हुए सभी 4 सीटें जीत ली। भले ही इस हार या भाजपा के खराब अथवा आशातीत प्रदर्शन न करने का कारण महंगाई को माना जा रहा हो लेकिन आगामी साल जिन पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं उसके मद्देनजर इन नतीजों का जो संदेश जनता में गया है वह भाजपा की चिंता बढ़ाने वाला ही है। खासतौर पर हिमाचल के नतीजे क्योंकि 2022 में सीमावर्ती राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पंजाब चुनाव पर इसका सीधा असर पड़ेगा। वजह चाहे बढ़ती महंगाई हो या फिर वह किसान आंदोलन जो बीते एक साल से जारी है। भाजपा को अब इन मुद्दों पर गंभीरता से मंथन करने की जरूरत है। यह उपचुनाव भाजपा को यह साफ संकेत दे रहे हैं कि अगर उसने शीघ्र ही इन मुद्दों पर मंथन नहीं किया तो इसके परिणाम 2022 के राज्य विधानसभा चुनावों पर ही नहीं पड़ेगा बल्कि आगामी लोकसभा चुनाव भी इसकी प्रतिछाया से नहीं बच सकेगा। इस उपचुनावों के परिणाम आम जनता की भावनाओं की अभिव्यक्ति है तो कांग्रेस को भी इस बात पर मंथन करने की जरूरत है कि उसके लिए मध्यप्रदेश में जीत क्यों मुश्किल है तथा वहां महंगाई और किसान आंदोलन का असर नहीं है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि वर्तमान दौर में महंगाई ने हर तबके के लोगों को बेचैन कर रखा है। जिस गति से महंगाई बढ़ रही है अगर यह क्रम जारी रहा तो भाजपा की हार के लिए और किसी अन्य कारण की जरूरत नहीं होगी। अगर थोड़ी बहुत कमी भी रही तो उसे किसान आंदोलन पूरी कर देगा जिसे लेकर भाजपा अब तक उपेक्षा पूर्ण रवैया अपनाए हुए है।

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