नहीं रहे नेताजी

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उत्तर प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक
कल सैफई में होगा अंतिम संस्कार

नई दिल्ली/लखनऊ। लंबे समय से बीमार चल रहे समाजवादी पार्टी के संस्थापक, उत्तर प्रदेश के तीन बार के मुख्यमंत्री तथा केंद्रीय रक्षा मंत्री रहे मुलायम सिंह का आज मेदांता अस्पताल गुरुग्राम में निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे तथा उन्हें धरतीपुत्र भी कहा जाता था। उनके निधन पर दिल्ली से लेकर लखनऊ तक शोक की लहर है।
मुलायम सिंह का जन्म एक अति साधारण किसान परिवार में हुआ था उन्हें कुश्ती लड़ने का शौक था एक शिक्षक से अपनी जिंदगी शुरु करने वाले मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव 8 बार जीते और तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1967 में जीता था। तथा 1977 में पहली बार मंत्री बने। 1996 में वह लोकसभा का चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने और देश के रक्षा मंत्री पद तक पहुंचे। तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद जब गठबंधन सरकार को नए प्रधानमंत्री की तलाश थी तब उनके नाम पर भी विचार हुआ था और वह देश के प्रधानमंत्री बनते बनते रह गए थे।
मुलायम सिंह का राजनीतिक सफर अत्यंत ही संघर्षपूर्ण और लंबा रहा है लोग उन्हें नेताजी के नाम से भी पुकारते थे। 1992 में वह समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष बने। लोकप्रियता किसी को उपहार में नहीं मिलती। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेई की तरह पार्टी हितों से ऊपर उठकर राजनीति की जिसके कारण वह एक सर्वग्राही नेता बन सके। समाजवादी पार्टी के पास आज जो भी कैडर वोट बैंक है वह मुलायम सिंह की मेहनत सरल स्वभाव और समभाव के कारण ही था। मुलायम सिंह यादव की विचारधारा सिर्फ समाजवाद तक सीमित नहीं थी बल्कि राष्ट्रवाद से उनका सीधा सरोकार रहा। उनके निधन पर भाजपा, कांग्रेस व अन्य तमाम दलों के नेताओं ने भी शोक व्यक्त किया है। उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव सैफई लाया जा रहा है जहां कल उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके निधन पर 3 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी सहित अन्य तमाम नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि हमने एक जनवादी नेता को खो दिया है।

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