नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने बुजुर्ग और बीमार कैदियों को समय से पहले रिहा करने के मामले पर संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली के जेल महानिदेशक को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक वकील के पत्र पर संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है। वकील ने हाई कोर्ट को पत्र लिखकर बुजुर्ग और बीमार कैदियों को समय से पहले जेल से रिहा करने पर विचार करने की मांग की थी। पत्र में कहा गया था कि महिला और ट्रांसजेंडर्स कैदी, जिनकी उम्र 60 वर्ष पूरी हो गई है और 65 वर्ष पूरी करने वाले पुरुष कैदियों को समय से पहले रिहा करना चाहिए। पत्र में कहा गया था कि इन कैदियों को जितनी सजा मिली हुई है अगर वे उसका एक तिहाई सजा पूरी कर चुके हों तो उन्हें रिहा किया जाना चाहिए। पत्र में कहा गया कि मुल्ला कमेटी की अनुशंसाओं और आदर्श जेल मैन्युअल का दिल्ली की जेलों में पालन नहीं किया जाता है। इसकी वजह से महिलाएं, बुजुर्ग और बीमार कैदियों के विशेष देखभाल का लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है। पत्र में कहा गया है कि देशभर की जेलों और खासकर दिल्ली की जेलों में काफी ज्यादा भीड़ है। दिल्ली की जेलों में 10026 कैदियों को रखने की क्षमता है लेकिन इससे 80 फीसदी ज्यादा कैदी जेलों में रखे जा रहे हैं।