हर एक नेता को चांद चाहिए

0
444

आपको यह बात थोड़ी अजीब सी लग सकती है कि नेताओं का चांद से क्या सरोकार? महान कवि सूरदास का आपने वह पघांश जरूर पढ़ा या सुना होगा जिसमें उन्होंने भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए लिखा है ट्टमैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहूं’ भगवान कृष्ण मां यशोदा से जिद करते होते हैं कि उन्हें तो बस चंद्रमा ही खिलौने के रूप में चाहिए इसके सिवाय अन्य कोई भी खिलौना नहीं। हिंदी साहित्य के महान लेखकों में शुमार सुरेंद्र वर्मा कि ट्टमुझे चांद चाहिए’ जैसी कृति भी आपने शायद पड़ी हो जिसकी रंगमंच नायिका की अत्यंत अभिलाषा को उन्होंने इस कृति में समेटने का प्रयास किया है जिनका अंत संभव ही नहीं है। ठीक वैसे ही हमारे उत्तराखंड के नेताओं को भी एकमात्र मुख्यमंत्री की कुर्सी ही चंद्र खिलौने के रूप में चाहिए। इस कुर्सी की खास बात यह है कि उन्हें यह कुर्सी चाहिए ही नहीं बल्कि उनकी चाहत यह है कि यह कुर्सी हमेशा उनके पास ही रहनी चाहिए। इन नेताओं में बहुतों की ख्वाहिश विधायक बनने की हो सकती है तो बहुतों की ख्वाहिश मंत्री बनने की हो सकती है क्योंकि अभी वह विधायक या मंत्री भी नहीं बन सके हैं। लेकिन हर विधायक और मंत्री या पूर्व मुख्यमंत्री के लिए यह सीएम की कुर्सी एक ऐसा चंद्र खिलौना है जो सभी को चाहिए ही चाहिए। लेकिन विडंबना यह है कि राज्य गठन से लेकर अब तक एकमात्र एनडी तिवारी ही ऐसे सौभाग्यशाली नेता रहे हैं जिनके पास पूरे 5 साल तक यह कुर्सी रही। बाकी नेता तो आया राम, गया राम ही रहे है। कोई भी इस कुर्सी पर टिक नहीं सका। फिर भी इस निर्माेही सीएम की कुर्सी का वशीकरण देखिए जिन्हें यह कुर्सी मिल गई वह भी और जिन्हें नहीं मिली वह भी सिर्फ इस कुर्सी के पीछे ही मुट्ठी भींच कर दौड़ रहे हैं। अभी—अभी 2022 विधानसभा चुनाव हुए हैं लेकिन सरकार किसकी बनेगी? इससे पूर्व ही इस सीएम की कुर्सी को पाने के लिए बिसात बिछाई जाने लगी है, वर्तमान सीएम पुष्कर सिंह धामी इन दिनों अपनी पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं और पूर्व सीएम रहे नेताओं से शिष्टाचार भेंट करने में जुटे हुए हैं, इन मेल मुलाकातों की इन दिनों सबसे अधिक चर्चा हो रही है। इन सभी मेल मुलाकातों के पीछे चंद्र खिलौने की चाहत का ही खेल चल रहा है। बात भाजपा नेताओं की ही नहीं है कांग्रेसी दिग्गजों के बीच भी इस चंद्र खिलौने को पाने के लिए खूब शतरंजी चालें चली जा रही है। सूबे की राजनीति में अस्थिरता और कपड़ों की तरह मुख्यमंत्रियों को बदला जाना तथा 2016 में कांग्रेस में हुआ बड़ा विभाजन आदि बड़ी—बड़ी तमाम घटनाओं की पृष्ठभूमि में इस चंद्र खिलौने की चाहत ही अहम कारण रही है। अब सवाल यह है कि 10 मार्च को आने वाले नतीजों में किसकी जीत होगी और जीतने वाली पार्टी के किस नेता को चन्द्र खिलौना मिलता है। हां इसके लिए बेताब नेताओं की लंबी कतार लगी हुई है कुछ पर्दे के आगे हैं तो कुछ पर्दे के पीछे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here