गोवा मुक्ति दिवस: 450 से ज्यादा सालों तक पुर्तगालियों ने गोवा में राज किया

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गोवा अपने खूबसूरत समुद्री तट और मशहूर स्थापत्य के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है, इसलिए गोवा पर्यटन के लिहाज से दुनिया भर को आकर्षित करते हैं। लगभग 450 से ज्यादा सालों तक पुर्तगालियों ने यहां पर राज किया। साल 1947 में भारत की आजादी के बाद जब पुर्तगालियों को गोवा को भारत को सौंपने को कहा गया था, तो उन्होंने इससे इंकार कर दिया था। अंग्रेजी हुकूमत ने भी पुर्तगालियों का पक्ष लेते हुए इसे भारत से अलग रखा था, लेकिन भारत ने ऑपरेशन विजय के माध्यम से 19 दिसंबर, 1961 को गोवा को मुक्त करवाया, पहले इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला, इसके बाद 30 मई 1987 को गोवा भारत का 25वां राज्य बना, और स्वतंत्र प्रदेश का दर्जा हासिल किया। :
जिन दिनों भारत पर मुगलों का राज था, उस दौरान मार्च 1510 में अलफांसो-द-अल्बुकर्क के नेतृत्व में पुर्तगालियों ने इस शहर पर आक्रमण कर अपने कब्जे में ले लिया। पुर्तगाली सेना को गोवा में प्रवेश से रोकने के लिए युसूफ आदिल खां ने उन पर आक्रमण कर उन्हें रोक दिया। लेकिन अल्बुकर्क दोबारा भारी सेना बल के साथ लौटा और युसूफ आदिल पर हमला कर गोवा पर पुनः कब्जा कर एक हिंदू तिमोजा को गोवा का प्रशासक नियुक्त किया। बहुत जल्दी गोवा पूर्व दिशा में पूरे पुर्तगाली साम्राज्य की राजधानी बन गया।
साल 1575 से 1600 तक गोवा में स्वर्णिम काल रहा। साल 1809 से 1815 के बीच नेपोलियन का गोवा पर कब्जा था, इसके बाद गोवा पर ब्रिटिश हुकूमत राज्य करने लगा। इस दरम्यान अंग्रेजों ने गोवा के संसाधनों का खूब शोषण किया। साल 1947 में भारत के आजाद होने के बाद पंडित नेहरू ने गोवा को भारत को सौंपने को कहा, मगर अंग्रेजों ने पुर्तगालियों का पक्ष लेते हुए गोवा को उनके पास ही रखने का आदेश जारी किया।
साल 1947 में भारत को आजादी मिलने के पश्चात भी गोवा 14 सालों तक पुर्तगाली शासन के नियंत्रण में था। गोवा के मूल निवासियों ने गोवा से पुर्तगालियों से मुक्ति के लिए कई आंदोलन भी किए। इसे देखते हुए स्वतंत्र भारत ने गोवा की मुक्ति के लिए राजनयिक माध्यमों से शांति पूर्ण प्रयास किया। शांतिपूर्ण हल निकलते ना देख भारत सरकार ने सशस्त्र सैनिक बल गोवा के लिए रवाना किये, तब पुर्तगालियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। 19 दिसंबर 1961 को गोवा पुर्तगालियों से पूरी तरह मुक्त हुआ। इसके बाद गोवा को भारतीय संघ का हिस्सा बनाया गया और दमन-दीव के साथ गोवा भी भारत का केंद्र शासित प्रदेश बन गया। यद्यपि गोवा को महाराष्ट्र में विलय को लेकर बात उठी, लेकिन मूल गोवानियों ने इस विलय का विरोध किया, तब भारत सरकार ने जनमत के आधार पर गोवा को महाराष्ट्र से अलग रखने का फैसला लिया। 30 मई 1987 को गोवा को भारत का 25वां राज्य का दर्जा देते हुए इसे एक स्वतंत्र प्रदेश का दर्जा दिया। इसके बाद से प्रत्येक वर्ष 30 मई को गोवा स्थापना दिवस मनाया जाने लगा
गोवा मुक्ति दिवस यानी 19 दिसंबर के दिन गोवा के स्थानीय लोग मशाल जुलूस निकालते हैं। ये मशाल जुलूस गोवा के तीन विभिन्न स्थानों से शुरू होकर आजाद मैदान पर मिलते हैं। यहां पूरा समूह शहीदों को श्रद्धांजलि देता है। इसके बाद आजाद मैदान पर ही विभिन्न प्रकार के सामाजिक, सांस्कृतिक समारोह होते हैं, जो देर रात तक चलता है। सभी लोग अपने-अपने तरीके से इस दिन का सेलिब्रेशन करते हैं। इस अवसर पर यहां भारी भीड़ इकट्ठा होती है।

गोवा से संबंधित कुछ रोचक तथ्य: गोवा क्षेत्रफल के अनुसार भारत का सबसे छोटा मगर जनसंख्या के आधार पर चौथा सबसे छोटा राज्य है। गोवा पहले पुर्तगाल का एक उपनिवेश था, इसी आधार पर उन्होंने गोवा पर 450 साल से ज्यादा राज्य किया। आजादी के समय अंग्रेजों की दोहरी नीति एवं पुर्तगाल के दबाव के कारण गोवा पुर्तगाल को हस्तांतरित कर दिया गया। भारतीय सेना ने 2 दिसंबर को गोवा मुक्ति का अभियान छेड़ा। वायुसेना ने 8 एवं 9 दिसंबर को पुर्तगालियों के ठिकाने पर अचूक बमबारी की। 19 दिसंबर 1961 को तत्कालीन पुर्तगाली गवर्नर मैन्यू वासलो डि सिल्वा ने भारत के सामने समर्पण समझौते पर हस्ताक्षर किया। गोवा में चुनाव हुए और 20 दिसंबर 1962 को श्री दयानंद भंडारकर को गोवा के पहले मुख्यमंत्री बने।

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