नई दिल्ली । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। पार्टी से उनकी नाराजगी कोई तात्कालिक नहीं है, बल्कि वे लंबे समय से कांग्रेस से नाराज चल रहे थे। उन्होंने सोनिया गांधी को लिखे 5 पन्ने के पत्र में खुलकर उन कारणों को जाहिर किया है, जिसके चलते उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया।
सोनिया गांधी को लिखे पत्र में गुलाम नबी आजाद ने अपनी नाराजगी की बड़ी वजह राहुल गांधी को बताया है। सोनिया गांधी को संबोधित करते हुए उन्होंने लिखा है, यूपीए-1 और यूपीए-2 के समय सोनिया गांधी की अध्यक्षता में पार्टी अच्छे मुकाम पर थी। इस सफलता के पीछे पार्टी के सीनियर और अनुभवी लीडर्स थे और उनके फैसलों को तरजीह दी जाती थी। लेकिन जनवरी 2013 में राहुल गांधी की एंट्री और उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष बनाने के बाद सारा मैकेनिज्म खत्म कर दिया गया। राहुल गांधी ने कई मौकों पर बचकानी हरकत दिखाई।
गुलाम नबी आजाद ने लिखा कि राहुल गांधी के उपाध्यक्ष बनने के बाद सीनियर लीडर्स को साइडलाइन किया जाने लगा और अनुभवहीन नेताओं की नई मंडली तैयार हो गई। उन्होंने राहुल गांधी द्वारा मीडिया के सामने सार्वजनिक तौर पर उस सरकारी अध्यादेश को फाड़ने की घटना का भी जिक्र किया है, जिसे कांग्रेस कोर ग्रुप के सीनियर लीडर्स ने अपने अनुभवों के आधार पर तैयार किया था। उन्होंने लिखा है कि राहुल गांधी की यह बचकानी हरकत पार्टी के अवसान की शुरुआत बनी।
गुलाम नबी ने लिखा है कि वे पंचमढ़ी (1998), शिमला (2003) और जयपुर (2013) में हुए मंथन में शामिल रहे हैं, लेकिन तीनों मौकों पर निकले सलाह-मशवरों पर कभी गौर नहीं किया गया और न ही अनुशंसाओं को लागू किया गया। 2014 लोकसभा चुनाव को लेकर जनवरी 2013 में पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए एक डिटेल्ड एक्शन प्लान तैयार किया गया था, जिसे कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने अप्रूव किया था, लेकिन इस एक्शन प्लान को गोदाम में रख दिया गया।