घाम तापती राजनीति

0
85


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मुखवा और हर्षिल के दौरे के दौरान उत्तराखंड की सरकार को घाम तापो पर्यटन क्या मंत्र दिए गए सोशल मीडिया पर पीएम का घाम तापो का फार्मूला मजे लेने का ऐसा जरिया बन चुका है जैसे मानो वह आपदा में अवसर तलाशने का सबसे बेहतर जरिया हो। घाम तापो के क्या मायने हो सकते हैं उनका जिक्र तो सोशल मीडिया में बखूबी हो ही रहा है इसलिए हम यहां इसके बारे में कुछ नहीं कहना चाहते हैं लेकिन उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों जो कुछ हो रहा है वह अत्यंत ही चिंतनीय जरूर है। सूबे के नेता बीते कुछ दिनों से कैसे—कैसे मुद्दों को उछालने में लगे हैं अगर आपसे कोई एक सवाल पूछा जाए कि संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की जुबान से निकला एक शब्द इतना अधिक खतरनाक और आपत्तिजनक था कि उस पर जनांदोलन खड़ा कर दिया जाए? नेताओं की बदजुबानी के अन्य तमाम मुद्दों और शब्दों के सामने तो यह कुछ भी नहीं था लेकिन मजेदार बात यह है कि उनके माफी मांगने के बाद भी मामला शांत होने के बजाये और अधिक तूल पकड़ता जा रहा है उससे भी खास बात यह है कि विरोध करने वाले इस मामले में एक के बाद एक नई कड़ी जोड़ते चले जा रहे हैं विधानसभा अध्यक्ष ऋतू खंडूरी से लेकर यह मुद्दा अब भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भटृ तक को अपने लपेटे में ले चुका है। जिन्होंने पीएम के उत्तराखंड दौरे के दौरान प्रेमचंद के खिलाफ गैरसैंण में प्रदर्शन करने वालों को सड़क छाप नेता कह दिया। महेंद्र भटृ को लेकर अब आक्रोशित लोग कह रहे हैं कि उन्होंने गढरत्न नेगी का घोर अपमान किया क्योंकि यह प्रदर्शन नरेंद्र नेगी के आहवान पर किया गया था तथा इसमें तमाम राज्य आंदोलनकारी भी शामिल थे इसलिए इसे अब आंदोलनकारी के अपमान से जोड़ दिया गया है। ऐसा लगता है कि सूबे के नेताओं के पास अब राजनीति के लिए मुद्दे ही समाप्त हो चुके हैं इसलिए वह अब इस तरह के मुद्दों पर राजनीति करते दिख रहे हैं कि किसने किसके लिए क्या कुछ कह दिया और उससे किसका कितना अपमान हो गया। सूबे की वर्तमान की राजनीति को देखकर ऐसा लगता है कि कुछ लोगों द्वारा धामी सरकार के खिलाफ एक सुनियोजित तरीके का अभियान चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री के रूप में जब से धामी ने सत्ता संभाली है अपने कामों से वह लगातार इतने मजबूत होते जा रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी का सार्वजनिक मंच से धामी को अपना छोटा भाई कहा जाना और उनकी पीठ थपथपाना उन्हे पच नहीं पा रहा है। विपक्ष का काम तो उनके काम में खामियां ढूंढना पहले भी था लेकिन क्या अब उनकी पार्टी के कुछ लोग भी विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। भाजपा को ऐसे लोगों की पहचान करनी चाहिए कि जो सरकार के अस्थिर करने पर अमादा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here