केदारनाथ का उपचुनाव मुख्यमंत्री धामी के लिए करो और मरो जैसी कठिन चुनौती बन चुका है। हो सकता था कि उनके लिए यह चुनाव आसान जीत वाला होता लेकिन बीते समय में बदली स्थितियाें और परिस्थितियों ने हालात उनके लिए इतने जटिल बना दिए हैं कि केदारनाथ की जीत आसान नहीं रह गई है। एक तरफ उपनल कर्मियों का विरोध प्रदर्शन और आक्रोश है जो अब सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने के बाद उस हद तक पहुंच चुका है कि उपनल कर्मचारी केदारनाथ चुनाव में इसका जवाब देने की चेतावनी उन्हें दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बॉबी पंवार जो सचिवालय में मीनाक्षी सुंदरम के साथ हुए विवाद के बाद अब केदारनाथ पहुंच चुके हैं और भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल को हराने की मुहिम में जुट गए हैं। यह सर्वविदित है कि पंवार के समर्थन में युवाओं का एक बड़ा समूह अब किसी भी लड़ाई में उनके साथ खड़ा दिखाई देता है। अगर वह भाजपा के खिलाफ चुनाव प्रचार में जुटे हैं तो इसका थोड़ा बहुत प्रभाव पड़ेगा जरूर। यह अलग बात है कि पंवार किसके लिए काम करते हैं या इसका किसको नफा या नुकसान होने वाला है। जहां तक युवाओं की बात है वह धामी सरकार की नीतियों से नाराज तो है ही बात चाहे पुलिस भर्ती में आयु सीमा न बढ़ाये जाने की हो या फिर यूपीएसएससी के रवैये की। बात यहीं तक नहीं है स्व. विधायक श्ौला रानी की पुत्री ऐश्वर्या रावत को टिकट का भरोसा दिलाकर उन्हें टिकट न दिए जाने से नाराज ऐश्वर्या की नाराजगी अभी भी बरकरार है जो इस चुनाव पर असर डाल सकती है। यही नहीं खबर तो यह भी है कि भाजपा की अंदरुनी राजनीति भी इस चुनाव के नतीजे पर असर डालने जा रही है। भाजपा के अंदर अब धामी से भी खुद उनके कुछ निकटस्थ नेता संतुष्ट नहीं है और वह अब उन्हें सीएम की कुर्सी पर देखना नहीं चाहते हैं। उक्त तमाम कारण मुख्यमंत्री और उनकी सरकार को को असहज किए हुए हैं। उधर कांग्रेस जिसके साथ भाजपा का सीधा मुकाबला है उसके नेताओं द्वारा इस चुनाव में जिस तरह की एक जुटता दिखाई जा रही है वह भाजपा के लिए बड़े खतरे की घंटी है। कांग्रेस के नेता इस चुनाव को लेकर पूरी तरह से सजकता दिखा रहे हैं। राज्यपाल के केदारनाथ दौरे को चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन बताकर इसकी शिकायत लेकर उनका चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराना इस सजकता का ही प्रमाण है। भले ही भाजपा के जैसे नेताओं की फौज और कार्यकर्ताओं की भीड़ कांग्रेस के पास न दिख रही हो लेकिन कांग्रेसी पुरी जी जान के साथ मनोज रावत को चुनाव जिताने के लिए काम करते दिख रहे हैं। यही कारण है कि कांग्रेस नेता व प्रत्याशी का मनोबल कितना हाई दिख रहा है कि वह अपनी जीत सुनिश्चित मान रहे हैं। देखना होगा कि 23 नवंबर को अब ऊट किस करवट बैठता है।




