यह बर्बरता खतरे का अलार्म

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बीते कल राजस्थान के उदयपुर में जो कुछ हुआ वह कोई सामान्य घटना नहीं है, धार्मिक उन्माद की आड़ से एलानिया धमकी देना और फिर किसी का सर कलम कर उसका वीडियो वायरल करने का दुस्साहस कोई भी नहीं कर सकता जब तक उसके पीछे कोई ताकत न हो। नूपुर शर्मा के विवादित बयान का समर्थन करने वाले कन्हैया लाल की हत्या की इस वारदात को जिस तरह तालिबानी अंदाज में अंजाम दिया गया है वह सिर्फ दिल दहला देने वाला ही नहीं है बल्कि देश और समाज के लिए खतरे का अलार्म है। इस मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली भी गंभीर सवालों के घेरे में है। मृतक कन्हैया को मिल रही धमकियों पर अगर पुलिस ने समय रहते कार्रवाई की होती तो शायद कन्हैया की जान न गई होती। इससे भी अधिक हैरान करने वाली बात यह है इस मुद्दे पर की जाने वाली राजनीति। जो भाजपा नेता इस हत्या को लेकर गहलोत सरकार और कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं उन्हें शर्म आनी चाहिए इस बात पर कि हर मुद्दा राजनीति का नहीं होता है। जिन सिरफिरे लोगों ने कन्हैया का सर कलम किया है वह देश के प्रधानमंत्री को भी अपने वीडियो में चुनौती और धमकी देते दिख रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि देश में जो सांप्रदायिकता और धार्मिक उन्माद की आग धधक रही है वह न देश के लिए हितकर है और न समाज के लिए। आज सबसे बड़ी व पहली जरूरत यह है कि कन्हैया की दुस्साहसिक हत्या करने वाले नियाज और गौस को किसका संरक्षण प्राप्त है। हालांकि इसे केंद्र सरकार द्वारा अत्यंत गंभीरता से लिया जा रहा है और एनआईए की एक टीम को राजस्थान भेजा गया है। हत्यारोपी पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हैं इसलिए इसकी पुष्टि होने में देर नहीं लगेगी की रियाज और गौस किस आतंकी संगठन से जुड़े हुए हैं और उनका आका कौन है। जो मुस्लिम धर्मगुरु और नेता अब इस हत्या की घटना की निंदा कर रहे हैं उन्हें इस पर घड़ियाली आंसू बहाने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि उनके उकसावे पर नूपुर शर्मा के खिलाफ जुमे की नमाज के बाद उग्र प्रदर्शन किए गए थे और इबादतगाहो को प्रदर्शनों का अखाड़ा बनाया गया था। रियाज और गौस को जो करना था वह कर चुके हैं हो सकता है इसके लिए उन्हें अपने आकाओं से बड़ा इनाम मिला हो लेकिन उनके आका भी अब उन्हें उससे नहीं बचा पाएंगे जो अब कानून उनके साथ करेगा। क्योंकि यह अफगानिस्तान या पाकिस्तान नहीं है जहां तालिबानी हुकूमत चलती है। यह हिंदुस्तान है जहां इस तरह की बर्बरता किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जा सकती। इस घटना के बाद सिर्फ राजस्थान ही नहीं उत्तर प्रदेश सहित तमाम अन्य राज्य भी अलर्ट हो चुके हैं। शासन प्रशासन और कानून इस पर जो काम करेगा वह तो करेगा ही लेकिन केंद्र सरकार और समाज को आंखें मूंदकर नहीं बैठ जाना चाहिए। खतरा कितना बड़ा है यह घटना इसका अलार्म है। अगर इसके पीछे के कारणों पर गौर नहीं किया गया तो इसके दूरगामी परिणाम अत्यंत ही घातक होंगे। इस मुद्दे पर सभी दलों व नेताओं को भी राजनीति से ऊपर उठकर सोचने की जरूरत है।

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