जनता की बेकली के मायने क्या है?

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बीते 10 सालों से केंद्रीय सत्ता पर काबिज नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी भले ही देश में आल इज वैल बताकर देश के लोगों को विकसित भारत का सपना दिखा रहे हो तथा उनके द्वारा अबकी बार 400 पार का नारा लगाया जा रहा हो लेकिन 10 साल तक आंखें मूंद कर मोदी और भाजपा पर भरोसा जताने वाली जनता के अंदर एक अजीब सी बेचैनी है। 2024 के चुनाव से एन पूर्व देश के जनमानस के मन की इस बेचैनी का अंदाज थोड़ा बहुत अब भाजपा और उसके नेताओं को भी हो चला है। इंडिया गठबंधन के बिखराव और राम मंदिर निर्माण के जिस मुद्दे के बीच भाजपा को अपनी जीत की हैट्रिक बहुत आसान लग रही है अब वह आसान नहीं रही है। क्योंकि टूटते—टूटते भी इंडिया गठबंधन चुनाव की घोषणा से पूर्व एक आकार ले चुका है और उसके नेता अब जनता के बीच जाकर देश की जनता को यह बताने में और समझने में कामयाब होते दिख रहे हैं कि भाजपा ने 10 सालों में सिर्फ शगुफेबाजी की है अच्छे दिन लाने, युवाओं को 2 करोड़ हर साल रोजगार देने और महंगाई से निजात दिलाने का वायदा कर उन पर जीएसटी थोप कर तथा नोटबंदी कर किस तरह धोखा दिया है। किस तरह से देश में दल बदल और तोड़फोड़ कर जनादेश का चीर हरण किया गया है। और जाति धर्म की राजनीति को बढ़ावा देकर समाज में आपसी भाईचारे को समाप्त किया है तमाम मुद्दों पर जनता को झकझोरने का काम किया जा रहा है उससे आम जनता में हलचल पैदा हो गई है। राहुल गांधी की सामाजिक न्याय यात्रा में स्वस्पूर्ति उमड़ती भीड़ इस बेचैनी की गवाही दे रही है। जिस अमेठी की जनता ने पिछली बार राहुल की सीट पर स्मृति ईरानी को बैठा दिया था उसी अमेठी की जनता अब उन्हें ललकार रही है कि अगर स्मृति में दम है तो अमेठी से चुनाव लड़कर दिखाएं। बीते समय में मेयर (चंडीगढ़) के चुनाव और इलेक्टोरल बांड पर आये फैसलों ने भाजपा की नीतियों पर जो सवाल खड़े किए वह भी भाजपा को बड़ा झटका साबित हुआ। वही हिमाचल में कांग्रेस की निर्वाचित सरकार को गिराने का षड्यंत्र तथा किसान आंदोलन और भर्तियों के पर्चे लीक मामलों ने भी भाजपा को बैक फुट पर लाकर खड़ा कर दिया है। युवाओं और किसानों की नाराजगी के बीच जीएसटी से परेशान व्यापारी तथा महंगाई से परेशान महिलाओं के मन में क्या चल रहा है अब इसे भाजपा नेता समझ भी जाएं तब भी उनके पास कुछ करने का समय शेष नहीं बचा है। हिंदू मुस्लिम और राष्ट्रवाद तथा विकसित भारत व मंदिर मस्जिद और ओबीसी की बात भाजपा को कितने के पार ले जाएगी इसका पता 2024 के चुनाव में चलेगा।

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