नये युग का शुभारंभ

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अयोध्या में चिर प्रतीक्षित राम मंदिर और उसमें विराजमान रामलला के अचल विग्रह के प्राण—प्रतिष्ठा का भव्य और दिव्य आयोजन कल देश और दुनिया के करोड़ों लोगों ने देखा। तमाम समीक्षक अपने—अपने अनुभवों और ज्ञान के आधार पर इस ऐतिहासिक क्षण की समीक्षा कर रहे हैं। पूरा देश और समाज राम भक्तों के भावों से विभोर है। निसंदेह इस ऐतिहासिक दिन की महत्ता को देश और समाज के साथ—साथ देश के लोकतंत्र के इतिहास में नए युग की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। देश के सनातन धर्मियों ने जितने लंबे समय तक धैर्य और संयम के साथ राम की जन्मस्थली में ही अपने ईस्ट और मर्यादा पुरुषोत्तम राम के मंदिर के निर्माण के लिए संघर्ष किया और देश की न्यायपालिका द्वारा सभी पक्षों की सहमति से इस अत्यंत ही जटिल और तकरार वाले मुद्दे का समाधान निकालने का काम किया गया वैसा उदाहरण शायद ही विश्व के किसी राष्ट्र में देखने को मिलेगा। टकराव और तनाव की छिटपुट घटनाओं को अगर छोड़ दिया जाए तो ऐसी स्थिति देशवासियों की अच्छी और सही सोच से संभव हो सकी यह मुद्दा सियासी दखल के कारण कोई कम पेचीदा नहीं था। अगर अयोध्या को देश की धार्मिक राजधानी के तौर पर देखा जाए तो अयोध्या को राम मंदिर निर्माण के साथ ही स्वतः यह दर्जा आज प्राप्त हो चुका है। बात अगर विश्व की धार्मिक राजधानियों की की जाए तो सऊदी अरब के मक्का की तरह आज अयोध्या का नाम भी विश्व की पांच धार्मिक राजधानियों की सूची में गिना जाना तय है। अयोध्या भविष्य के उन बड़े धार्मिक धर्मस्थलों की सूची में होगा जहां के विकास का कोई उदाहरण दिया जाएगा। राम मंदिर के निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के समय जिस तरह देश भर में उत्सव और उत्साह देखा गया और देश—विदेश के प्रतिनिधियों की भागीदारीे से सर्व समाज का समर्थन देखने को मिला है सामाजिक समरसता को लेकर नई उम्मीदें लेकर आया है और भविष्य में किसी भी तरह के धार्मिक और धर्मस्थलों को लेकर तकरार व टकराव की संभावनाओं को कम करने वाला दिख रहा है। देश में अन्य जितने भी इस तरह के विवादित मसले हैं उनका सही समाधान अब न्यायिक फैसलों के जरिए निकालने की उम्मीदें अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ बलवती होती दिखाई दे रही हैं। उम्मीद की जा रही है कि न्यायालय के फैसले में दूसरे पक्ष को आवंटित जमीन पर बहुत जल्द भव्य मस्जिद का निर्माण हो सकेगा जो अयोध्या से आने वाले दिनों में शांति और सद्भाव का संदेश देश ही नहीं पूरे विश्व को देगा। देश के मजबूत लोकतंत्र और आपसी भाईचारे के लिए आज का दिन वरदान साबित होगा सभी को ऐसी उम्मीद करनी चाहिए। भले ही इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों के अपने नजरिए चाहे जो भी रहे हो लेकिन समाज के नजरिए से एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। एक राष्ट्र एक समाज की भावना को मजबूती मिल रही है। विश्व पटल पर आध्यात्मिक गुरु बनने की अवधारणा को सशक्तिकरण की दिशा में अयोध्या का राम मंदिर भी मील का पत्थर तो साबित होगा ही इसके साथ ही यह आध्यात्मिक उत्थान के दृष्टिकोण से देश के समाज को सशक्त बनाने के साथ आर्थिक संपन्नता के रास्ते पर अग्रसर करेगा। खास तौर पर देश के धार्मिक पर्यटन को इसका बड़ा फायदा होने वाला है। भले ही देश में मानवीय बुराइयों को धर्म और आस्था का मार्ग पूरी तरह निष्कंटक न बना सके लेकिन सामाजिक सुधार की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है। राम मंदिर निर्माण से रामराज की परिकल्पना किया जाना इस बदलाव का संकेत जरूर माना जा सकता है।

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