युवाओं को बचाने की अपील

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देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के युवाओं को नशे से बचाने के लिए लोगों से जनांदोलन चलाने की अपील कर रहे हैं और कह रहे हैं कि युवाओं को ही विकसित भारत की बड़ी तस्वीर बनानी है। मोदी आज ऐसे प्रभावशाली व्यक्तित्व के मालिक बन चुके हैं कि वह जो कुछ भी कह दे भाजपा नेता और कार्यकर्ता उनके स्वर में स्वर मिलाकर छोटी सी छोटी बात को इतना बड़ा देते हैं कि पूरे देश में उसकी गूंज सुनाई देने लगती है। प्रदेश के सीएम धामी भी आजकल नशा मुक्त प्रदेश बनाने में लगे हुए हैं। अभी संसद में हुई घुसपैठ की घटना के पीछे कांग्रेस नेताओं द्वारा बेरोजगारी को एक अहम कारण के रूप में पेश किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के चुनाव में देश को युवाओं का देश बताते हुए कहा था कि पिछली सरकारों ने इन युवाओं की उपेक्षा की है लेकिन वह अब इन युवा बेरोजगारों के हाथों में काम देंगे। दो करोड़ लोगों को हर साल रोजगार देने का वायदा उन्होंने किया था अपने 10 साल के शासनकाल में उन्हें 25 करोड़ युवाओं को रोजगार देना चाहिए था लेकिन वह दो करोड़ को भी रोजगार नहीं दे सके। ऐसे में अगर यह युवा बेरोजगार आत्महत्या नहीं करेंगे या नशे और निराशा के घोर अंधकार में नहीं डूबेंगे तो और क्या होगा? प्रधानमंत्री कहते हैं उन्होंने युवाओं को कौशल विकास दिया है सवा लाख युवाओं का स्टार्टअप उनके सपनों को साकार करेगा। बीते 10 सालों में इस युवा शक्ति को सरकार ने क्या दिशा दी और दिखाई यह एक चिंतनीय मुद्दा है। इस विषय में सिर्फ यही कहा जा सकता है कि सरकारी स्तर पर वैसा कुछ नहीं किया गया जो अपेक्षित था। भाजपा इस समय युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अभियान चला रही है देहरादून में भारतीय जनता युवा मोर्चा की ट्टमोदी है न’ पदयात्रा इसका एक उदाहरण है। बेरोजगार युवाओं को रोजगार के सवाल पर यह कहकर मजाक उडा़ने वाले कि ट्टपकोड़िया तलना भी रोजगार है, आज इन पदयात्राओं में युवाओं को दावत दे रहे हैं। काश भाजपा नेताओं ने इन 10 सालों में देश की युवा शक्ति के लिए कुछ किया होता। आज प्रधानमंत्री मोदी से लेकर तमाम राज्यों के भाजपाई मुख्यमंत्रियों द्वारा बेरोजगार मेले लगाये जा रहे हैं तथा कई कई महीनो पहले चयनित युवाओं को सामूहिक कार्यक्रमों में नियुक्ति पत्र बांटने का काम किया जा रहा है शायद इसकी जरूरत ही नहीं पड़ी होती। भले ही आज युवाओं को नशे से मुक्ति का अभियान चलाया जाए लेकिन सवाल यह है कि युवा पीढ़ी को नशे और निराशा के इस अंधेरे में जाने के पीछे क्या कारण रहा है? राहुल गांधी ने संसद में घुसपैठ की घटना के पीछे का कारण अगर बेरोजगारी को बताया जा रहा है यह वह खुद नहीं कह रहे हैं बल्कि वह युवा ही कह रहे हैं जिन्होंने सरकार को जगाने के लिए यह दुस्साहासिक काम किया है अगर भाजपा का कोई नेता इस सत्य को सुनना नहीं चाहता है तो न सुने यह अलग बात है। जनांदोलन से नशा मुक्त समाज बनाने की बात करने वाले भी जानते हैं कि इस देश का युवा जिसके पास कोई काम नहीं है तथा घर परिवार और समाज से उसे उपेक्षा ही उपेक्षा मिल रही है और जो नशे तथा ड्रग्स के खतरनाक हालात का शिकार हो चुके हैं उसे बचा पाना इतना आसान काम नहीं है ऐसे में युवा या तो अपराध के रास्ते पर जा रहे हैं या फिर आत्महत्या के रास्तों पर। युवाओं की जो शक्ति देश व समाज के विकास में वरदान साबित हो सकती थी वह अब विनाश का कारण बनती जा रही है। जिन्हें बचाने का काम एक कठिन चुनौती बन चुका है। भाजपा अब इन युवाओं के वोट पर नजर गड़ाए हुए हैं जिसके लिए पदयात्राएं हो रही है और उन्हें नशे से मुक्त करने की अपील की जा रही है।

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