मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में बड़ी जीत दर्ज की है इस जीत के साथ ही उनके पांच साल तक मुख्यमंत्री बने रहने का रास्ता साफ हो गया। खटीमा सीट पर मार्च 2022 के चुनाव में हारने के बाद भी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन पर जो भरोसा जताया जिसके कारण वह दोबारा मुख्यमंत्री बन सके अब उस भरोसे के अनुरूप काम करने और उस पर खरा उतरने की चुनौती अब उनके कंधों पर है। इसके साथ ही इस उपचुनाव में चंपावत की जनता का जो प्यार उन्हें मिला है उनकी अपेक्षा को पूरा करना भी उनका उत्तरदायित्व होगा। चुनाव प्रचार के दौरान वह जिस ऐतिहासिक जीत का भरोसा जनता से चाहते थे उसे जनता ने पूरा कर दिया है अब उनकी बारी है कि वह चंपावत की जनता की उम्मीदों को कितना पूरा करते हैं। यह जीत जितनी बड़ी है उतनी बड़ी जिम्मेवारी भी अब धामी पर है। 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता ने भाजपा को लगातार दूसरी बार सत्ता में लाकर एक इस मिथक को तोड़ा था कि कोई दल दोबारा सत्ता में बना नहीं रह सकता वहीं भाजपा को बड़े बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कराई थी। भले ही 2017 के चुनाव के मुकाबले भाजपा की 10 सीटें कम हुई लेकिन 2022 की जीत भी बहुत बड़ी जीत थी इससे पूर्व 2017 में 70 में से 57 सीटें जीतकर भाजपा ने इतिहास बनाया था। अब सीएम धामी को चंपावत उपचुनाव में उन्हें 55025 मतों से जिता कर एक और इतिहास रच दिया है। अब तक कोई भी मुख्यमंत्री इतने बड़े मतांतर से चुनाव नहीं जीता है। इससे पूर्व हुए उपचुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ही ऐसे नेता थे जिन्होंने सितारगंज से उपचुनाव लड़ा था और वह 40000 से भी अधिक वोटों से चुनाव जीते थे। लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अब इस रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। उनके नाम आज दर्ज इस ऐतिहासिक जीत में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी निर्मला गहतोड़ी को 55025 वोटों से हराया जो पहाड़ के लिए बहुत बड़ा अंतर है उनके इस रिकॉर्ड को शायद ही अब कोई तोड़ सकेगा। हालांकि चुनावी हवा धामी के पक्ष में थी यह अनुमान तो सभी को था लेकिन उनकी जीत इतनी बड़ी भी हो सकती है ऐसा किसी ने भी नहीं सोचा था। मतदान का 94 फीसदी से अधिक वोट किसी एक प्रत्याशी के पक्ष में पड़े यह सिर्फ चमत्कार ही माना जा सकता है और चमत्कार कभी—कभी ही होते हैं। अब थोड़ी बात कांग्रेस और काग्रेस प्रत्याशी निर्मला गहतोड़ी की भी करें जिन्हें वह 3147 वोट ही मिले जो कुल मतदान का 4 फीसदी के करीब है। उनकी जमानत भी जप्त हो गई। कांग्रेस के हरीश रावत करण माहरा और यशपाल आर्य सरीखे नेता जो धामी को फिर पटखनी देने का दावा कर रहे थे उन्हें कांग्रेस की वर्तमान स्थिति पर गौर करने की जरूरत है। दो विधान सभा और एक लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार के बाद जो कांग्रेसी नेता आसमान में देख रहे है उन्हें जमीन पर उतरने और जमीनी हकीकत को समझने की जरूरत है।