अंकिता भण्डारी हत्याकांड को प्रकाश में आये एक साल से अधिक का समय बीत चुका है। लेकिन इस हत्याकांड को लेकर सुलग रही जनाक्रोश की आग अभी ठंडी नहीं पड़ी है। इस हत्याकांड ने पहाड़ के जनमानस और राजनीति को इस कदर झकझोर दिया है कि एक साल से अधिक समय बीत जाने पर भी यह खबर अखबारों की सुखियों में बनी रहती है। कल इस मामले में अंकिता के दोस्त और इस केस के अहम गवाह जम्मू निवासी पुष्पदीप से बचाव पक्ष द्वारा जिरह की गयी जो आज शनिवार को भी जारी रहेगी। अंकिता हत्याकांड मामले में जारी इस लड़ाई में राजधानी देहरादून सहित पूरे राज्य में जनाक्रोश कायम है जो कम होने का नाम नहीं ले रहा है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस तो कई बार इसकी विधिवत जांच सीबीआई से कराने की मांग कर चुकी है। कांग्रेस सहित आमजन का कहना है कि इस मामले में प्रकाश में आये कथित वीआईपी को बचाने के लिए साक्ष्यों व परिस्थितियों को बदला गया है। जिसे स्पेशल सर्विस देने के लिए पहाड़ की बेटी पर दबाव बनाया जा रहा था। पूर्व सीएम हरीश रावत तो शुरू से ही उस वीआईपी के नाम के खुलासे की मांग करते रहे है जिसके साथ बाउंसर आते थे। खास बात यह है कि इस मामले में तीन महीनों की जांच के बाद भी एसआईटी हत्या करने के पुख्ता कारण को तलाश नहीं सकी है। उसकी चार्जशीट में भी हत्या के कारण के सवाल पर उसकी सुई स्पेशल सर्विस के दबाव में आकर ही टिकी हुई है। अंकिता भंडारी के दोस्त पुष्पदीप के साथ उसकी मोबाइल चैट जिसमें उसने रिजार्ट में गलत काम होने और खुद पर गलत काम करने के लिए दबाव बनाने की बात कही है, को ही हत्या का प्रमुख कारण माना गया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अंकिता जहंा काम करती थी उस रिजार्ट में कुछ तो गलत हो रहा था। जिसकी जानकारी अंकिता को हो चुकी थी। आरोपियों को अंकिता से इस बात का भी खतरा था कि वह उनके काले कारनामों का पर्दाफाश भी कर सकती है। ख्ौर अब इस मामले में एसआईटी द्वारा बनाये गये गवाहों की गवाही हो रही है। लेकिन हैरत की बात यह है कि अभी तक पूरी जांच के बावजूद जिस वीआईपी को स्पेशल सर्विस देने के लिए अंकिता पर दबाव की बात कही जा रही है उसका कहीं अता पता नहीं है।