अलगाववाद की आग

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यह विडंबना ही है कि जब देश के नेता आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत काल का ढोल पीट रहे हैं तब अमृतपाल जैसे अराजक तत्व न सिर्फ देश की सत्ता को अपितु देश की एकता और अखंडता को चुनौती दे रहे हैं। पंजाब की धरती से एक बार फिर खालिस्तान समर्थकों द्वारा वारिस ए पंजाब दे, के अध्यक्ष अमृतपाल के नेतृत्व में अपने एक समर्थक को छुड़ाने के लिए अजनाला थाने पर हमला किया गया और देश तथा सरकार के खिलाफ विष वमन किया जा रहा है वह एक बार फिर देश को अराजकता की आग में झोंकने वाला है। बीते तीन—चार दिनों से हरकत में आए शासन—प्रशासन ने अब इन अराजक तत्वों की धरपकड़ शुरू जरूर की गई है लेकिन अमृतपाल और उसके समर्थकों पर देर से की जाने वाली इस कार्रवाई पर सवाल उठने भी लाजमी है क्योंकि इनके बारे में जो जानकारियां सामने आ रही हैं वह न सिर्फ चौंकाने वाली है बल्कि बड़े खतरे का संकेत है। इन खालिस्तान समर्थकों को विदेशों से होने वाली फंडिंग और आई एस आई से कनेक्शन के सबूत मिलने के बाद यह साफ हो गया है कि खतरा कोई मामूली नहीं है। भले ही अमृतपाल के समर्थक मुट्ठी भर लोग हो, आम नागरिकों का उन्हें कोई समर्थन प्राप्त न हो लेकिन कुछ दिन पहले दुबई से लौटा एक ट्रक ड्राइवर अमृतपाल, अमृतपाल से भिंडरवाला कैसे बन गया और देश की सुरक्षा एजेंसियां और पुलिस प्रशासन को इसकी भनक क्यों नहीं लग सकी यह एक बड़ा सवाल है। पंजाब पुलिस जो उसके 100 समर्थकों को गिरफ्तार कर चुकी है, भारी संख्या में असलाह बरामद कर चुकी है अमृतपाल को क्यों नहीं पकड़ पाई यह भी एक बड़ा सवाल है। देशवासी 1980 से लेकर 1995 तक के उस काले दौर को कभी नहीं भूल सकते जब पंजाब में अलगाववाद की आग लगी हुई थी और पंजाब धू—धू कर जल रहा था। इस दौर में न सिर्फ 1746 पुलिसकर्मियों को अपनी शहादत देनी पड़ी थी बल्कि पुलिस कार्रवाई में 8090 लोगों की जाने चली गई इस दौर में 21 हजार से अधिक मौतें हुई। यही नहीं हमने इसी दौर में स्वर्ण मंदिर पर ब्लूस्टार जैसे बड़े ऑपरेशन भी देखें और स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या भी, जब उनके ही सुरक्षाकर्मियों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसा कर देश को हिंसा की भटृी में झौंक दिया गया था। आज कोई भी नहीं चाहता है कि फिर उस दौर को दोहराया जाए इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश की अस्मिता और एकता को चुनौती देने वाली कोई भी ताकत वह चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो कभी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सकती है लेकिन देश के किसी भी हिस्से और प्रांत में अलगाववादी हिंसा भड़काने या फिर लोगों को बहकाने में कामयाब हो जाते हैं तो इससे समाज में अराजकता का जो माहौल पैदा हो जाता है वह राष्ट्र के विकास में बहुत बड़ी बाधा बन जाता है। पंजाब जो पाकिस्तान जैसे देश की सीमाओं से लगता है वैसे भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से अति संवेदनशील है लेकिन अगर पंजाब के युवा ही आई एस आई के चंगुल में फंस जाए तो यह चुनौती और भी बड़ी हो जाती है। भले ही अभी अमृतपाल जो पुलिस की गिरफ्त से बाहर इंदिरा गांधी की हत्या का हवाला देकर हश्र की बात कर रहा हो लेकिन उसका क्या हश्र होगा यह समय ही बताएगा।

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