प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया उत्तराखंड दौरे के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी सरकार राज्य के मंदिरों के जीर्णाेद्धार के मास्टर प्लान की तैयारी में जुट गए हैं। दरअसल केदार पूरी और बद्रीनाथ धाम में जो विकास कार्य और पुनर्निर्माण कार्य हुए हैं उन्हें पर्यटन के विकास के दृष्टिकोण से एक बड़ी सफलता माना जा रहा है भले ही कोरोना काल में बाधित रही चार धाम यात्रा के कारण भी इस साल श्रद्धालुओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई हो लेकिन सरकार इसे पुनर्निर्माण और मास्टर प्लान के तहत किए गए कामों का नतीजा मान रही है। यह किसी हद तक सच भी है बीते कुछ सालों या बीते एक दशक में चार धाम यात्रा सुविधा में काफी कुछ सुधार आया है। चार धाम ऑल वेदर रोड से लोगों का आवागमन आसान हुआ है वही धामों में भी सुविधाएं बढ़ी हैं। इस बार बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम में रिकॉर्ड 40 लाख श्रद्धालु पहुंचे हैं इससे पूर्व यह आंकड़ा कभी 22—24 लाख से ऊपर नहीं पहुंचा था। 2019 में रिकॉर्ड श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम पहुंचे थे वह 12 लाख थे। जो इस बार 20 लाख तक पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस बार उत्तराखंड के विकास की जो तस्वीर अपने संबोधन में खींची गई थी वह राज्य के धार्मिक पर्यटन के विकास से ही जुड़ी हुई थी। उन्होंने सागर माला और भारत माला की तर्ज पर अब पहाड़ों के विकास के लिए पर्वतमाला शुरू करने की बात कही गई थी। ऐसा नहीं है सरकार द्वारा सीमावर्ती पर्वतीय राज्य में विकास के लिए सड़कों का निर्माण नहीं किया जा रहा है पिथौरागढ़ से चीन को जोड़ने वाला लिपुलेख मार्ग हो या फिर कश्मीर का लद्दाख क्षेत्र जहां अभी चीनी कब्जे की बात और झड़पों की खबरें आई थी। राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से सरकार पर्वत के सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी पर लगातार काम कर रही है। पीएम मोदी ने अभी माणा गांव दौरे के समय यहां भी दो सड़कों का शिलान्यास किया गया था। लेकिन इन परियोजनाओं का फायदा पर्यटकों को भी होगा। उत्तराखंड में मठ और मंदिरों की प्राचीनतम धरोहर बिखरी पड़ी है। अगर इनका पुनर्निर्माण का काम किया जाए तो राज्य में तमाम नए पर्यटक स्थल विकसित हो सकते हैं कुमाऊं मंडल में पहले से ही मानस खंड मंदिर माला के तहत यह काम किया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का चार धाम बोर्ड जिसमें वैष्णो देवी के श्राइन बोर्ड की तर्ज पर राज्य के 100 से अधिक मंदिरों को शामिल किया गया था भले ही उनकी पार्टी के नेताओं को रास न आया हो लेकिन अब धामी सरकार भी उसी तरफ कदम बढ़ाती दिख रही है। इन धार्मिक स्थलों को अगर विकसित किया जाएगा तो इनके प्रबंधन की व्यवस्था भी करनी पड़ेगी। लेकिन यह अच्छा है कि राज्य के नेताओं को यह बात समझ तो आयी कि धार्मिक पर्यटन ही राज्य की अर्थव्यवस्था की धुरी बन सकता है।